Wednesday, December 29, 2010

ਦੋਸਤ


ਦੋਸਤ ਓਹੋ ਜੋ ਮੁਸੀਬਤ
ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਵੇ !!
ਜਾਂਉਹੋ ਜੋ ਦੁੱਖ ਵਿੱਚ ਛੱਡ
ਭੱਜ ਜਾਵੇ??
ਦੋਸਤ ਜਿੰਦਗੀ ਦੀ
ਸ਼ਾਨ ਹੁੰਦੇ !!
ਜਾਂ ਉਹੋ ਜੋ ਜੀਅ ਦਾ ਜ੍ੰਜ਼ਾਲ
ਹੁੰਦੇ??
ਦੋਸਤ ਹਮਰਾਜ ਹੁੰਦੇ !!
ਜਾਂ ਉਹੋ ਜੋ ਕੰਨਾ ਦੇ ਕੱਚੇ ਹੁੰਦੇ??
ਦੋਸਤ ਦਿੱਲ ਦੀ ਧੜਕਂਣ
ਹੁੰਦੇ!!
ਜਾਂ ਉਹੋ ਜੋ ਹਰ ਗੱਲ ਤੀਲੀ ਲਾਓਂਦੇ!??
ਦੋਸਤ ਹਰ ਵੇਲੇ ਜਾਨ ਦੇਣ ਨੂੰ
ਤਿਆਰ ਹੁੰਦੇ!!
ਜਾਂ ਉਹੋ ਜੋ ਫ੍ਸਲੀ ਬਥੇਰਾ ਹੁੰਦੇ??
ਦੋਸਤ ਘਰ ਦਾ ਦੀਵਾ ਹੁੰਦੇ!!
ਜਾਂ ਉਹੋ ਜੋ ਘਰ ਦੇ ਭੇਤੀ ਹੁੰਦੇ??
ਦੋਸਤ ਤਾਂ ਘਿਓ ਖਿਚੜੀ ਹੁੰਦੇ!!
ਦੋਸਤ ਤਾਂ ਵੱਡਮੁੱਲੇ ਹੁੰਦੇ!!
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Tuesday, December 28, 2010

कुछ लोग कितने खोखले होते हैं



कुछ लोग कितने खोखले होते हैं
जुबान पे कुछ दिल में ज़हर बोते हैं

रख मुंह में कई मिश्री के टुकड़े
दिल में नफ़रत के तीर चुभोते हैं

कहते हैं सत्य बोलते रहो तुम सब
फिर भी झूठ उनके पालने में होते हैं

लगा के चेहरे पे संतों के मुखौटे कई
आतंकित शैतान से बगल में होते हैं

रखते बगल में छूरी 'दोस्तों'
मुंह में राम नाम गुन होते हैं

मौक़ा देख मारते हैं छूरा पीठ पे
ऐसे लोग भी इस जहां में होते है
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Monday, December 27, 2010

हर इबादत में जिक्र सुनना अच्छा लगता है !

तुझे आईने में देखना अच्छा लगता है!!
कभी यादों में देखना अच्छा लगता है!!

जब भी आते हो नज्मों में बन तर्ज़ कहूँ
तुझे गजलों में सुनना अच्छा लगता है

हो प्यार में ऐतबार में या मेरे राजदार में
दिल के जवाब में सुनना अच्छा लगता है!!

बातें करती हूँ खुद से वक़्त बेवक्त कभी
खवाबों में तुम से मिलना अच्छा लगता है !!

मैंने माना है तुझे खुद से खुदा तक "ज्योति"
हर इबादत में जिक्र सुनना अच्छा लगता है !!
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Tuesday, December 21, 2010

तेरी यादों में बेवफाई याद आती है

तेरी यादों में बेवफाई याद आती है
दर्द ऐ दिल में हरजाई याद आती है

बसा था तू गीतों में,गुनगुनाती रही
वफा ऐ नज़्म में जुदाई याद आती है

दर्द की इन्तेहा में जब भी मुस्कराई
दौर-ए-उल्फत में रुसवाई याद आती है

पलकों में बिठा के ख्वाब थे सजाए कभी
खुद तस्सवुर में तेरी परछाई याद आती है,

शमा-ए-इश्क़ दिल मे जलाई थी हमने
ख़ाक पन्नो की रोशनाई याद आती है !!

चुप रहने की उलझन से रूबरू न हो पायी
खुमार-ए-यार की आशनाई याद आती है

या फ़िक्र हो उनको मेरी या फ़िक्र में मैं न रहूँ
अपनी ही हसरतों की कुर्बाई याद आती है

शीशा ए दिल था चूर चूर हो गया "ज्योति"
मौज़ू-ए-सुख़न में शबे-तन्हाई याद आती है

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Sunday, December 19, 2010

विराना आबाद हुआ!

एक रास्ता वीरान था !!
कोई पथिक आया !!
बैठा पेड़ की छाया !!
कुछ पल सुस्ताया !!
अपने रास्ते हो लिया !!
रास्ता फिर वीरान हो गया !!

उस वीरान रास्ते में !!
हंसों का जोड़ा आया !!
बैठ पेड़ की छाया !!
चुगने लगे प्यारे मोती !!
पेड़ खुश हुआ!!
विराना आबाद हुआ!!

Saturday, December 18, 2010

नन्हा फ़रिश्ता!!

शुरू हो चुकी सर्दी !!
ठिठुरन बढ़ रही !!
रात दिन अलाव
जलती !!
मेरे घर की
गली में !!
आता है एक
छोटा बच्चा !!
लगता नन्हा
फ़रिश्ता!!
सब घरों की
गंदगी उठता !!
खाने में
झूठन मिलती
सब घरों की !!
पहनने, ओढने को
उतरन मिलती !!
कभी नंगे पाओं
कभी पहने फटी
चप्पल!!
देखती हूँ उसे
आंसूँ आते हैं
इन आँखों में !!
या खुदा
सुन ले तू ज़रा !!
इन नन्हें फरिश्तों पे
थोडा सा रहम ओं कर्म
कर !!

Friday, December 17, 2010

ਜਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਮੈਂ ਹਸਦੇ ਵੇਖਿਆ

ਜਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਮੈਂ ਹਸਦੇ ਵੇਖਿਆ 
ਰੱਬ ਦਾ ਗ਼ਜ਼ਬ ਤਮਾਸ਼ਾ ਵੇਖਿਆ !!

ਉਹਨਾ ਕੂੰਜਾਂ ਦੀਆਂ ਡਾਰਾ ਵਿੱਚ
ਆਊਂਦੀਆਂ ਨਦੀ ਕਿਨਾਰੇ
ਕੂੰ ਕੂੰ ਕਰਦੀਆਂ
ਏਊਂ ਲਗਣ
ਦੇਣ ਜਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਹੁਲਾਰੇ!!

ਆਕਾਸ਼ ਦੇ ਚੰਨ ਤਾਰਿਆਂ ਵਿੱਚ
ਚੜਦੇ ਸ਼ਾਮ ਹਨੇਰੇ
ਜਗਮਗ ਜਗਮਗ ਏਊਂ ਲਗਣ
ਕਿਸੇ ਨਾਰ ਨੇ ਪਹਿਨੀ ਹੋ
ਮਾਲਾ ਹੀਰਿਆਂ ਦੀ!!

ਆਕਾਸ਼ ਦੇ ਉਸ ਸੂਰਜ ਵਿੱਚ
ਹਰ ਨਵੀਂ ਸਵੇਰ ਲੈਕੇ ਆਓਂਦਾ
ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਹਨੇਰਾ ਦੂਰ ਭਜਾਓਂਦਾ
ਮਿੱਠੀਆਂ ਮਿੱਠੀਆਂ ਧੁਪਾਂ ਏਊਂ ਲਗਣ
ਬੁੱਕਲ ਹੋਵੇ ਮਾਂ ਦੀ!!

ਉਹਨਾਂ ਖੇਤਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ
ਏਊਂ ਲਗਣ
ਹਰਿਆਲੀ ਦੀ ਵਿੱਛੀ ਚਾਦਰ
ਦਿੱਲ ਕਰੇ ਸੋ ਜਾਵਾਂ
ਸਾਰੇ ਦੁੱਖ ਭੁੱਲ ਜਾਵਾਂ!!

ਮੀਹ ਪੈਂਦੇ ਦਿਨਾ ਵਿੱਚ
ਸਤਰੰਗੀ ਪੀਂਘ ਜੋ
ਆਸਮਾਨੇ ਦਿੱਸੇ
ਉਮੰਗਾਂ ਨੂੰ ਖੰਭ ਲਗ ਜਾਵਣ
ਸੁਪਨ ਹਕ਼ੀਕਤ ਬਣ ਜਾਵਣ!!

दोस्ती हमारी

दोस्ती हमारी

बातों ही बातों में शुरू
हुई दोस्ती हमारी ||
तुम्हारी सूरत से ज्यादा
सीरत है मुझे प्यारी ||
शरीर काट के
दिल निकाल के ||
दिखा सकती
तो दिखाती ||
इस दिल में
क्या जगह है तुम्हारी ||
वो खट्टी मीठी नोक झोंक
हर छोटी से छोटी गलती
पर मुझे समझाना ||
फिर भी किसी बात की
नहीं कोई रोक टोक ||
दुनिया में सब दोस्तों से
प्यारी||
दोस्ती तुम्हारी नयारी ||
खुदा से और क्या चाहिए ||
पास है मेरे
प्यारी सी
सच्ची सी
दोस्ती तुम्हारी ||

यह कविता मैंने अपनी सब से प्यारी दोस्त प्रीत भसीन और सबसे अच्छे दोस्त गोविन्द को समर्पित की है दुनिया में माँ और बच्चों के रिश्ते के बाद दोस्ती का रिश्ता अनमोल होता है

Wednesday, December 15, 2010

परमात्मा क्या है

परमात्मा क्या है
इंसान नहीं जानता!!
जानता  है
तो नहीं पहचानता !!
कभी पत्थरों में पूजता
कभी ग्रथों में ढूंढता !!
कभी उसे एक
रौशनी समझता !!
परमात्मा तो कण कण
में बिराजमान !!
जगह जगह व्यापत!!
कभी यहाँ खोजता
कभी वहां खोजता !!
हे मूर्ख  इंसान
तू खुद के अन्दर
उसको पहचान!!
वो तो खुद तेरे
अन्दर  है!!
वो तो अथाह
समुन्दर है !!
वो तो सब का
दोस्त है !!
इसका किसी को
नहीं होश है !!
ये एक छोटा सा
प्रयास उसको
जानने का !!
लोगों को
अवगत कराने का !!

Monday, December 6, 2010

उनसे पूछो !!

भूख  क्या है
एक एक दाने
को मोहताज़ है
भूखे पेट सोते जो
उनसे पूछो !!

कपडा क्या है
तन पे जिनके
चीथड़े है
झाँक रहा शरीर जो
उनसे पूछो!!

मकान क्या है
बारिश में भीगे
धूप में जले
सर्दी में ठिठुरे जो
उनसे पूछो !!

प्यास क्या है
रेगस्तान में
भटक रहा
मरीचिका के लिए जो
उनसे पूछो !!

मानसिक पीड़ा क्या है
तन से लूटे
मन से टूटे
छोटे छोटे बच्चे जो
उनसे पूछो !!

विरह  वेदना क्या है
प्यार में तडपते दिल
मिलने को आतुर
बिछड़े प्रेमी जो
उनसे पूछो!!

इंतज़ार क्या है
सरहदों की राखी करते
आँखें बिछाई उनकी
राह में पत्निया जो
उनसे पूछो !!

Friday, December 3, 2010

पर्दा था जो , बेपर्दा हुआ

इल्जाम लगा के वो ,
ऐसे चले गए !!
वक़्त ने नज़र का ,
ऐसा रुख मोड़ दिया !!
एक पर्दा था जो ,
बेपर्दा हुआ उनका!!
उनकी ज़फाओं ने ,
मेरा दिल तोड़ दिया !!
हर ख्वाब को,
उनसे जोड़ा था!!
दिल उस ने मेरा
क्यूँ तोडा था !!
कुछ पल साथ चले ,
बीच रास्ते ,
साथ छोड़ दिया !!