अलसाया सा बदन,
उन्नीदी सी आँखें,
कानों को छूती हुई ,
सी एक आवाज़ ,
बदन पे एक स्पर्श ,
झटके से उठी मैं !!
आस-पास देखा मैंने ,
कोई नहीं था आस-पास ,
कोन था वोह,
नहीं समझ पाई मैं !!
सोचा क्या है यह,
कोई आत्मा,
कोई ख्याल,
या मेरा भ्रम ,
नहीं समझ पाई मैं !!
क्या यह भ्रम हो,
सकता है कैसे?
वोह तो जीते जागते,
का अहसास था ,
नहीं समझ पाई मैं !!
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