तुझे तुझ को
दे दूँ
खुद से
निकाल के
क्या करूँ
कैसे करूँ
समझ नहीं आता
यह दिल भी
नहीं मानता
कैसे दे दूँ
तुझे तुझ को
खुद से
निकाल के
तुम बोले
वापस कर दे
वो सारे खत
वो सारे तोहफे
कैसे दे दूँ
वो सब
तुझे तुझ को
खुद से निकाल के
तुम मेरी
नस नस में हो
रोम रोम में हो
खून के एक एक
कतरे में हो
तुम ही सोचो
कैसे दे दूँ
तुझे तुझ को
खुद से
निकाल के
दे दूँ
खुद से
निकाल के
क्या करूँ
कैसे करूँ
समझ नहीं आता
यह दिल भी
नहीं मानता
कैसे दे दूँ
तुझे तुझ को
खुद से
निकाल के
तुम बोले
वापस कर दे
वो सारे खत
वो सारे तोहफे
कैसे दे दूँ
वो सब
तुझे तुझ को
खुद से निकाल के
तुम मेरी
नस नस में हो
रोम रोम में हो
खून के एक एक
कतरे में हो
तुम ही सोचो
कैसे दे दूँ
तुझे तुझ को
खुद से
निकाल के
yogitakoli@gmail.com
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