Wednesday, December 21, 2011

छिटकी धुप

आसमाँ के पथ से
चल के
सितारों की छाँव में
सतरंगी झूले में
झूल के
बादलों के रथ पे
हो सवार
उतर धरती पे
एक नन्ही किरन
आई
छिटकी धुप
अलसाई सी रात
गई
अंगड़ाई लेती
भौर हुई
नन्ही किरन से
रौशन दुनिया हुई

13 comments:

  1. कल 23/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. भावपूर्ण रचना ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है :-)http://mhare-anubhav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. भावों से नाजुक शब्‍द......

    ReplyDelete
  4. Bahut sundar.....

    www.poeticprakash.com

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया रचना...
    इस खूबसूरत भोर की शुभकामनाएं....

    ReplyDelete
  6. bahau bahut shukria aap sab ka jo meri likhi rachnayen aapko pasand aati hain

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब ...सुन्दर अभिव्यक्ति


    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    ReplyDelete
  8. वाह ...बहुत ही बढि़या।

    ReplyDelete
  9. वाह...बहुत प्यारी रचना...

    ReplyDelete