एक अंजन्मी बच्ची की व्यथा
एक माँ जब अपना गर्भपात करवाने जाती है जब उसके घरवालों को मालूम होता है कि उसके पेट में लड़की है. तो उस समय उस अंजन्मी बच्ची और उसकी माँ के बीच जो बातचीत हुई उसको मैने इस रचना में प्रस्तुत किया है
जन्म से पहले मौत क्यूँ ?
माँ मुझे इस दुनिया में आने दे
लड़की हूँ, या लड़का नहीं
जन्म तो लेने दे मुझे
क्यूँ समझती हो मुझे
जिन्दगी का अंधेरा
मैं बनूंगी तेरी,
प्यारी बिटिया !!
जिन्दगी के हर पल,
हर लम्हें ,धूप छाँव में!!
दूँगी मैं तुम्हारा साथ !!
जब झटक देगा कोई तेरा हाथ,
तब मैं रहूंगी तेरे आस पास !!
मां ने सिसकते हुए कहा ,
बिटिया रानी ,
मुझे है तुमसे बहुत प्यार!!
कोन सुनेगा तेरी यह पुकार!!
मैं भी एक नारी हूँ ,
समाज ने दिए अनेकों दुःख !!
लड़की होना ही है समाज
के लिए अभिशाप
तभी तो करा दिया
जाता है गर्भपात!!
गाज़र ,मूली की तरह
आने से पहले ही काट देते
हैं यह लोग !!
एक मौन चीक के साथ
तुझे देते हैं मौत !!
यह पढ़ा लिखा है समाज
या है हैवानों का समाज !!
एक तरफ़ पूजता हैं देवी की तरह
दूसरी तरफ देते हैं तुझे मौत ...................
welcome to blog. very nice poem. ye aajanmi beti ki pukar hai samaj se ki mujhe mat maro.
ReplyDeletepad kar bahut dard hota hai ki hum bhi isi samaj mai rahte hai ...
ReplyDeletejo ek taraf naari ko pujata hai dusari traf
paida hone se pahle hi khatam karna chahta hai
...so sad
bahut khoob!
ReplyDeleteRealy very nice Best of luck
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