आज समय की मांग यही है सभी करें ये विचार
कैसे मिटे देश में छाया विधर्म और फैला भ्रष्टाचार
हर एक त्रस्त है देखो है इनकी कैसी मार
चारों ओर जन जन में मची है हाहाकार
हर एक उठाये फिरता है अपने फिरके का झंडा
धर्म के नाम पर हो रही केवल जूतमपेजार
कोई धर्म नहीं जानता धर्म है सच्चा प्यार
जैसे खुद को चाहते वैसा हम करें व्यवहार
राजनिति के चक्र में धर्म हुआ जाता लोप
राजनितज्ञ धर्म का भी बना रहे व्यापार
कौन भला सुनाता है रोती धरती की पुकार
काटे पेड़ वस्न तब नंगी धरती है बेज़ार
देखो बढ़ा है पारा गर्मी करती है अपना वार
धरती त्राहि करती बढ़ता जनसंख्या का भार
उजड़े पर्वत उजड़े वन खेत हुए रेगिस्तान
सभी ओर हिन्द हमारा होता जाता है लाचार
धरती धर्म बचाना अपना हो जाए लक्ष्य परम
ऐसा कर पायें तो होगा सब जन का उधार
कैसे मिटे देश में छाया विधर्म और फैला भ्रष्टाचार
हर एक त्रस्त है देखो है इनकी कैसी मार
चारों ओर जन जन में मची है हाहाकार
हर एक उठाये फिरता है अपने फिरके का झंडा
धर्म के नाम पर हो रही केवल जूतमपेजार
कोई धर्म नहीं जानता धर्म है सच्चा प्यार
जैसे खुद को चाहते वैसा हम करें व्यवहार
राजनिति के चक्र में धर्म हुआ जाता लोप
राजनितज्ञ धर्म का भी बना रहे व्यापार
कौन भला सुनाता है रोती धरती की पुकार
काटे पेड़ वस्न तब नंगी धरती है बेज़ार
देखो बढ़ा है पारा गर्मी करती है अपना वार
धरती त्राहि करती बढ़ता जनसंख्या का भार
उजड़े पर्वत उजड़े वन खेत हुए रेगिस्तान
सभी ओर हिन्द हमारा होता जाता है लाचार
धरती धर्म बचाना अपना हो जाए लक्ष्य परम
ऐसा कर पायें तो होगा सब जन का उधार
No comments:
Post a Comment