1.अजब इंसान हैं या रब, इनको मनाया भी नहीं जाता
नाजनीनों का नखरा "ज्योति" उठाया भी नहीं जाता
2.क़यामत इनका गुस्सा है खुदारा बचाना मुझको
मनाया भी नहीं जाता , इनको रुलाया भी नहीं जाता
3.बड़ी बच्चे सी जिद कर बैठे वे समय के साथ
बुलाते थक गए हैं वे , मगर जाया नहीं जाता
4.अजब है रूठना उनका, जैसे सांसों का जुदा होना
भुलाया भी नहीं जाता ,अब मनाया भी नहीं जाता
5.मान जाओ रूठे यार कि हम भी उदास हैं
हैं वक़्त के मारे मगर "ज्योति"तेरे ही दास हैं
नाजनीनों का नखरा "ज्योति" उठाया भी नहीं जाता
2.क़यामत इनका गुस्सा है खुदारा बचाना मुझको
मनाया भी नहीं जाता , इनको रुलाया भी नहीं जाता
3.बड़ी बच्चे सी जिद कर बैठे वे समय के साथ
बुलाते थक गए हैं वे , मगर जाया नहीं जाता
4.अजब है रूठना उनका, जैसे सांसों का जुदा होना
भुलाया भी नहीं जाता ,अब मनाया भी नहीं जाता
5.मान जाओ रूठे यार कि हम भी उदास हैं
हैं वक़्त के मारे मगर "ज्योति"तेरे ही दास हैं
अजब है रूठना उनका, जैसे सांसों का जुदा होना
ReplyDeleteभुलाया भी नहीं जाता ,अब मनाया भी नहीं जाता
नाजनीनों का तो पता नहीं, मगर यार दोस्तो का साथ तो ऐसा ही होता है। :-)
khubsurat panktiyan....
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