bhavnayen
Tuesday, April 2, 2013
हैं कंवारे हाथ मेरे
कब से साजन मेरे
बीते कितने सूने सावन
कब से नैना राह निहारे
ओ परदेशी सूना आँगन
तुमको मेरा आज पुकारे
दर्श करूँ तेरा प्रियवर मैं
मेरा प्राण मन कब से पुकारे
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