जब रात की नागिन डसती है,
नस नस में ज़हर उतरता है !!
जब चाँद की किरनें तेज़ी से ,
इस दिल को चीर के आती हैं !!
जब आँख के अन्दर ही आंसू ,
जंजीरों में बंध जाते हैं !!
सब ज़ज्बातों पे छा जाते हैं,
तब याद बहुत तुम आते हो !
नस नस में ज़हर उतरता है !!
जब चाँद की किरनें तेज़ी से ,
इस दिल को चीर के आती हैं !!
जब आँख के अन्दर ही आंसू ,
जंजीरों में बंध जाते हैं !!
सब ज़ज्बातों पे छा जाते हैं,
तब याद बहुत तुम आते हो !
No comments:
Post a Comment