Monday, December 3, 2012


यूं तुमसे चोरी चोरी मिलना
हमको अच्छा लगता है
फिर से उग आया वो बचपन
हमको अच्छा लगता है
चाहे हो जाएँ पचपन के
संग तुम्हारे सारा जीवन
बचपन अच्छा लगता है
तुम्हे देख कर कुछ कुछ
नहीं,सारा अच्छा लगता है
तुम ही जैसे मर्ज़ ऐ दिल
दवा हो, कई जन्मों की
इबादत है इश्क ये मेरा
तुम ही मेरे इस दिल का
सकूं ओ राहत हो, तुम्हे
कैद किया है मैंने निगाहों में
अब कहो दूर मुझसे कैसे जाओगे
ये मेरी मुहब्बत का इम्तिहान होगा
या रब्ब, कबर में भी करीब पाओगे...............

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