खुद को हार के
तुम को जीत लिया
तुम को जीत के
खुद को पा लिया
भावनाओं के भंवर में
डूबती तैरती रही
प्यार की तलाश में
एक मरीचिका के
पीछे
भटकती रही
आज तुम को पा के
खुदा को पा लिया
आज खुदा को पा के
सच्चा प्यार पा लिया
तुम को जीत लिया
तुम को जीत के
खुद को पा लिया
भावनाओं के भंवर में
डूबती तैरती रही
प्यार की तलाश में
एक मरीचिका के
पीछे
भटकती रही
आज तुम को पा के
खुदा को पा लिया
आज खुदा को पा के
सच्चा प्यार पा लिया
बेहतरीन अंदाज़..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
वाह ☺
ReplyDeleteबहुत खूब ... दिल के भावों को जुबां दे दी ... लाजवाब ...
ReplyDeleteशायद ही है मोहब्बत। बहुत प्रेमपुर्ण कविता।
ReplyDeleteशायद यही है मोहब्बत। बहुत प्रेमपुर्ण कविता।
ReplyDeleteप्रेम की मरीचिका का यथार्थ चित्रण......भावनाओं से ओत-प्रोत कविता....
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