बचपन के संगी साथी सहारे कहाँ गए !
साथी वो प्यारे प्यारे हमारे कहाँ गए !!
आये थे थोड़ी देर मेरी जिंदगी में जो !
वो फूल क्या हुए वो सितारे कहाँ गए!!
एहसास उन का आज तक मौजूद है मगर !
महफ़िल से उठ के जान से प्यारे कहाँ गए!!
कल तक तो मैंने रखा था उन को संभाल के !
ना जाने आज खत वो तुम्हारे कहाँ गए !!
चलते थे साथ साथ जो साँसों के कल तलक !
सब से अजीज़ सब से वो प्यारे कहाँ गए!!
आँखों ने जिन की याद में सीखा है बरसना !
ना जाने जिंदगी के वो सहारे कहाँ गए!!
ऐ "ज्योति" स्याह रात सी क्यों हो गई है तू !
वो चाँद क्या हुआ वो सितारे कहाँ गए
साथी वो प्यारे प्यारे हमारे कहाँ गए !!
आये थे थोड़ी देर मेरी जिंदगी में जो !
वो फूल क्या हुए वो सितारे कहाँ गए!!
एहसास उन का आज तक मौजूद है मगर !
महफ़िल से उठ के जान से प्यारे कहाँ गए!!
कल तक तो मैंने रखा था उन को संभाल के !
ना जाने आज खत वो तुम्हारे कहाँ गए !!
चलते थे साथ साथ जो साँसों के कल तलक !
सब से अजीज़ सब से वो प्यारे कहाँ गए!!
आँखों ने जिन की याद में सीखा है बरसना !
ना जाने जिंदगी के वो सहारे कहाँ गए!!
ऐ "ज्योति" स्याह रात सी क्यों हो गई है तू !
वो चाँद क्या हुआ वो सितारे कहाँ गए
आँखों ने जिन की याद में सीखा है बरसना !
ReplyDeleteना जाने जिंदगी के वो सहारे कहाँ गए!!
kitna dard hai pyaar me lipta
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteचलते थे साथ साथ जो साँसों के कल तलक !
ReplyDeleteसब से अजीज़ सब से वो प्यारे कहाँ गए!!
...बहुत सुंदर भावपूर्ण गज़ल...
बहुत ही खुबसूरत......
ReplyDeletebehtreen rachna abhivaykti...
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