सब कुछ बदल गया वक़्त बदलते बदलते
सच्च जो भ्रम था वो बदल गया वक़्त बदलते बदलते
एक मुस्कान जो खिलती थी सुबह की किरन सी
आज वो भी बदल गई वक़्त बदलते बदलते
आँखें कहती हैं ठहर जा ,अभी न छलक
आज फिर आँखें छलक गई वक़्त बदलते बदलते
रात की चांदनी छिड़कती है ठंडी हवाओं संग
आज रात बदल गई वक़्त बदलते बदलते
झूठ था जो वडा निभाया था तुमने
आज तुम बदल गए वक़्त बदलते बदलते
'ज्योति' की कश्ती में आंसुओं का दरिया है
आज साहिल बदल गया वक़्त बदलते बदलते
सच्च जो भ्रम था वो बदल गया वक़्त बदलते बदलते
एक मुस्कान जो खिलती थी सुबह की किरन सी
आज वो भी बदल गई वक़्त बदलते बदलते
आँखें कहती हैं ठहर जा ,अभी न छलक
आज फिर आँखें छलक गई वक़्त बदलते बदलते
रात की चांदनी छिड़कती है ठंडी हवाओं संग
आज रात बदल गई वक़्त बदलते बदलते
झूठ था जो वडा निभाया था तुमने
आज तुम बदल गए वक़्त बदलते बदलते
'ज्योति' की कश्ती में आंसुओं का दरिया है
आज साहिल बदल गया वक़्त बदलते बदलते
रात की चांदनी छिड़कती है ठंडी हवाओं संग
ReplyDeleteआज रात बदल गई वक़्त बदलते बदलते
बहुत खूब.
खूबसूरत अलफ़ाज़.
खूबसूरत पेशकश.
खूबसूरत गज़ल ..सब कुछ बादल जाता है वक्त बदलते बदलते
ReplyDeletesab kuch badal gaya....waqt ke sath
ReplyDeletebahut khub abhivyakti.....aabhar
बेहतरीन शब्द समायोजन..... भावपूर्ण अभिवयक्ति....
ReplyDeleteआँखें कहती हैं ठहर जा ,अभी न छलक
ReplyDeleteआज फिर आँखें छलक गई वक़्त बदलते बदलते
....बेहतरीन गज़ल...
खूबसूरत गज़ल .....
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत पोस्ट, बधाई.
ReplyDeleteखूबसूरत भाव है आपकी रचना के. आभार.
ReplyDeleteज्योति' की कश्ती में आंसुओं का दरिया है
ReplyDeleteआज साहिल बदल गया वक़्त बदलते बदलते ...sabkuch kya se kya ho gaya !
आँखें कहती हैं ठहर जा ,अभी न छलक
ReplyDeleteआज फिर आँखें छलक गई वक़्त बदलते बदलते
आपकी इस रचना का हर लफ्ज बहुत कुछ कहता है .....सच में मैं भी रुक गया कुछ कहते कहते ......!
्वक्त सब बदल देता है ………सुन्दर भाव संजोये हैं।
ReplyDeleteअच्छे खयालात... सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसादर...
वक्त बदलते सब कुछ बदल जाता है । हम भी तो ।
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