मैं और मेरी तन्हाई
मिलते हैं अक्सर
बंद अँधेरे कमरे में
बातें होती अक्सर
उन पलों की
बिताये थे जो साथ साथ
यादें तुम्हारी अक्सर
चलती हैं साथ मेरे
तन्हाई भी अच्छी लगती
मीठी मीठी तुम्हारी बातें
साथ देती
मेरी तन्हाई में अक्सर
चुपचाप चले आते हो
मेरी यादों से निकल
एक साया बन
मेरे साथ बैठ जाते हो
ये अहसास करवाते हो
हकीकत हो तुम
कोई याद नहीं
जिन्दगी हो मेरी तुम
कोई बीती बात नहीं
jyoti dang
मिलते हैं अक्सर
बंद अँधेरे कमरे में
बातें होती अक्सर
उन पलों की
बिताये थे जो साथ साथ
यादें तुम्हारी अक्सर
चलती हैं साथ मेरे
तन्हाई भी अच्छी लगती
मीठी मीठी तुम्हारी बातें
साथ देती
मेरी तन्हाई में अक्सर
चुपचाप चले आते हो
मेरी यादों से निकल
एक साया बन
मेरे साथ बैठ जाते हो
ये अहसास करवाते हो
हकीकत हो तुम
कोई याद नहीं
जिन्दगी हो मेरी तुम
कोई बीती बात नहीं
jyoti dang
16 minutes ago
मेरी यादों से निकल
ReplyDeleteएक साया बन
मेरे साथ बैठ जाते हो
ये अहसास करवाते हो
हकीकत हो तुम
कोई याद नहीं
बहुत खूबसूरत एहसास ..अच्छी प्रस्तुति
मैं और मेरी तन्हाई...........बहुत ही खुबसूरत रचना....
ReplyDeletebehreen sundar prstuti....
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