Saturday, October 29, 2011

meri nenos

घुटी घुटी सिसकियों में
चंद साँसें अभी बाकी हैं
दबी कुचली जिन्दगी में
चंद लम्हे अभी बाकी हैं
टूट के बिखरे सपनों में
अभी भी जान बाकी है
................................

भागमभाग में व्यस्त इंसां
बचा नहीं किसी में अब इमाँ
अपनों से मिलता दर्द यहाँ
कटुता भरा हुआ जाता
पारिवारिक रिश्ता नाता
ये कैसा खेल तेरा ऐ विधाता
....................................
जो करना है सो आज कर डालो
वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
रुकना नहीं कभी हार के जिन्दगी में
जो बीत गया वो वापस हुआ नहीं करता
प्यार करो आत्मा से, दिलो जान से
बेवफा कभी सच्चा प्यार नहीं करता
....................................

14 comments:

  1. जो करना है सो आज कर डालो
    वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
    रुकना नहीं कभी हार के जिन्दगी में
    जो बीत गया वो वापस हुआ नहीं करता

    बहुत सही !!

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत ,बधाई.

    ReplyDelete
  3. सुन्दर रचनाएं...
    सादर बधाई

    ReplyDelete
  4. सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.

    ReplyDelete
  5. सही है, जो करना है आज कर डालो, वरना वक्त कब आयेगा।

    कृप्या वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा लें, टिप्पणी करना आसान होगा ।

    ReplyDelete
  6. वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
    सच है!

    ReplyDelete
  7. घुटी घुटी सिसकियों में
    चंद साँसें अभी बाकी हैं
    दबी कुचली जिन्दगी में
    चंद लम्हे अभी बाकी हैं
    टूट के बिखरे सपनों में
    अभी भी जान बाकी है

    ....बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  8. सपनों की जान ही ज़िंदगी जीने की शक्ति होती है ....

    ReplyDelete
  9. घुटी घुटी सिसकियों में
    चंद साँसें अभी बाकी हैं
    दबी कुचली जिन्दगी में
    चंद लम्हे अभी बाकी हैं
    टूट के बिखरे सपनों में
    अभी भी जान बाकी है
    ................................behtreen sundar...

    ReplyDelete
  10. Very beautifully described....

    ReplyDelete
  11. जो करना है सो आज कर डालो
    वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
    रुकना नहीं कभी हार के जिन्दगी में
    जो बीत गया वो वापस हुआ नहीं करता
    प्यार करो आत्मा से, दिलो जान से
    बेवफा कभी सच्चा प्यार नहीं करता...

    bahut khub likha hai..

    bewfa kabhi sachcha pyar nahi karta... bilkul sahi kaha hai aapne..
    jai hind jai bharat

    ReplyDelete
  12. भागमभाग में व्यस्त इंसां
    बचा नहीं किसी में अब इमाँ
    अपनों से मिलता दर्द यहाँ
    कटुता भरा हुआ जाता
    पारिवारिक रिश्ता नाता
    ये कैसा खेल तेरा ऐ विधाता


    bahut khoob!

    ReplyDelete
  13. aap sabhi guni jano ka bahut bahut shukria

    ReplyDelete