रौशन होगा सारा जहाँ
दीये प्यार के जलेंगे जब
नफरतों के मकाँ गिरेंगे
खुशियाँ होंगी चहुँ ओर तब
... तन, मन , धन करेंगे
अर्पित , मानवता को
कुछ पल सुख के देंगे
दीन हीन दुखियों को
उस मासूम बचपन को
खिलखिलाने ,मुस्कराने दो
जो सिसक रहा भीख मांगते
घर होटलों में झूठन मांजते
ढँक दो कुछ कपड़ों से
फुटपाथ पे पड़े - पड़े
सड़ रहे असहाय लाचार
ठिठुरते उस खुले बदन को
दुर्व्यसनो में पड़ कर
खो चुकी उस जिन्दगी को
वापस लाना होगा ,अपने
देश की उस जवानी को
धूमिल हो चुके देश के
वर्तमान को, देनी होगी
सूर्ये की नई रौशनी
जगमगाते भविष्य के लिए
भृष्टाचार की गहरी खाई
में गिर चुके देश को
अब तो बचाना होगा
नया लोकतंत्र लाना होगा
ये नया लोकतंत्र लाना आसान नहीं ... पर कोशिश जरूर होनी चाहिए ...
ReplyDeleteek din sab sahi hoga,
ReplyDeletejab khud yahin kahin hoga..
jai hind jai bharat