खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है !
नफ़रत को मिटा देगा बहता हुआ पानी है !!
कहीं निर्मल ,कहीं शीतल कहीं होता है खारा भी !
बिछुडों को मिला देगा, बहता हुआ पानी है !!
बिरहा में तड़पती हुई जागी हुई आँखों में !
आँसू भी सज़ा देगा बहता हुआ पानी है !!
लेना ना कभी टक्कर ,ताकत है बहुत इस में !
तेरी हस्ती मिटा देगा बहता हुआ पानी है !!
तू कूद जा लहरों में घबरा नहीं बिलकुल भी !
ये पार लगा देगा बहता हुआ पानी है !!
"ज्योति" तेरी मंज़िल तो अब दूर नहीं ज्यादा !
सागर से मिला देगा बहता हुआ पानी है !!
नफ़रत को मिटा देगा बहता हुआ पानी है !!
कहीं निर्मल ,कहीं शीतल कहीं होता है खारा भी !
बिछुडों को मिला देगा, बहता हुआ पानी है !!
बिरहा में तड़पती हुई जागी हुई आँखों में !
आँसू भी सज़ा देगा बहता हुआ पानी है !!
लेना ना कभी टक्कर ,ताकत है बहुत इस में !
तेरी हस्ती मिटा देगा बहता हुआ पानी है !!
तू कूद जा लहरों में घबरा नहीं बिलकुल भी !
ये पार लगा देगा बहता हुआ पानी है !!
"ज्योति" तेरी मंज़िल तो अब दूर नहीं ज्यादा !
सागर से मिला देगा बहता हुआ पानी है !!
वाह बेहतरीन
ReplyDelete... वाह
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 22 -09 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में ...हर किसी के लिए ही दुआ मैं करूँ
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खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब
ReplyDeleteबिरहा में तड़पती हुई जागी हुई आँखों में !
ReplyDeleteआँसू भी सज़ा देगा बहता हुआ पानी है !!
सुन्दर रचन और कथन...
सादर...
sach kaha behte hue paani ki yahi fitrat hai.
ReplyDeletesunder abhivyakti.
खूबसूरत गज़ल का हर शेर लाजवाब.
ReplyDeleteबहुत खूब
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