सत गुरु और शिष्य
सत गुरु क्या हैं होते हैं
क्या हम जानते हैं ये
क्या हम ,नहीं समझते
सत गुरु शिष्य का
रूपांतरण हैं करते !!
रूपांतरण ज्ञान ही नहीं
आत्म अनुभूति होता है
अन्तकरण और मन की
वे वासना को मिटाते हैं !!
नर को नारायण
सत गुरु ही बनाते हैं
क्या हम जानते हैं ये
क्या हम ,नहीं समझते
सत गुरु शिष्य का
रूपांतरण हैं करते !!
रूपांतरण ज्ञान ही नहीं
आत्म अनुभूति होता है
अन्तकरण और मन की
वे वासना को मिटाते हैं !!
नर को नारायण
सत गुरु ही बनाते हैं
आज के युग में
ऐसे गुरु कहाँ मिलते हैं
वह शिष्य कहीं खो गए
जो गुरु को गुरु है मानते हैं
शायद शिष्यों से ही गुरु भी
पहचाना जाता है
जब वे जिवंत अध्यात्म को
अतारते जीते हैं जीवन में
ऐसे गुरु कहाँ मिलते हैं
वह शिष्य कहीं खो गए
जो गुरु को गुरु है मानते हैं
शायद शिष्यों से ही गुरु भी
पहचाना जाता है
जब वे जिवंत अध्यात्म को
अतारते जीते हैं जीवन में
गुरु मुक्त करते हैं आडम्बर और
अज्ञान के अँधेरे से मन के
दर्शन कराते हैं आत्मा के
आत्मज्ञानी बनाते हैं
अपने शिष्य को
कितु
अभी के व्यवहार को देखकर
लगता है की गुरु लोग
अपनी कोई सेना बनाते हैं
जो उनकी unpaid सेवा
के लिए प्राण भी देती है अपने
अजब माया है गुरुओं की
खुद ये सब में उलझे हैं
माया और मोह में
अज्ञान के अँधेरे से मन के
दर्शन कराते हैं आत्मा के
आत्मज्ञानी बनाते हैं
अपने शिष्य को
कितु
अभी के व्यवहार को देखकर
लगता है की गुरु लोग
अपनी कोई सेना बनाते हैं
जो उनकी unpaid सेवा
के लिए प्राण भी देती है अपने
अजब माया है गुरुओं की
खुद ये सब में उलझे हैं
माया और मोह में
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