Friday, May 17, 2013


किताब
तू है एक किताब
तुझ मे रहती दुनिया की
जानकारियाँ बेहिसाब
कभी तू हंसा जाती
कभी रुला जाती कभी
बिखरे पलों को भी समेटे
गमों की परछाईयाँ कभी
तुझ मे दिखाई पड़ती हैं
किसी की तू जीवनी बन जाती
कभी शेर-ओ- शायरी बतलाती
कभी कवितायों की पोटली बनती
कभी चुटकलों से लोटपोट करती
कभी परमात्मदर्शन का पथ देती
कभी तू सितारा-शनास बन जाती
कभी इंसानियत का पाठ दर्शाती
फुरस्त के पलों की साथी तुम
दुनिया के साथी साथ छोड़ जाते
तब मूक तू साथ निभाती
कितनी संज्ञांये दूं तुझको मैं
तेरे नाम भी तो हैं बेहिसाब
तू ही दिल के करीब किताब !

3 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति...

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  2. सुन्दर भावपूर्ण बढ़िया प्रस्तुति !

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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