लोग अक्सर दुनिया से तंग आकर
और डरकर खुद से कर लेते हैं
स्वयं ही जीवन में आत्महत्या
लेकिन अब इस दुनिया में हमारी
आत्महत्या कम धर्म हत्या ज्यादा है
अब सोचने वाली बात ये है कि
अतमहत्या तो सुना था हमने किन्तु-
और डरकर खुद से कर लेते हैं
स्वयं ही जीवन में आत्महत्या
लेकिन अब इस दुनिया में हमारी
आत्महत्या कम धर्म हत्या ज्यादा है
अब सोचने वाली बात ये है कि
अतमहत्या तो सुना था हमने किन्तु-
ये धर्म हत्या किस चिडिया का नाम है
आश्चर्ये हुआ न आपको यह सुनकर
धर्म के नाम पर कितने ही लोग यहाँ
सुलगते हैं जिन्दा लाश बनकर उम्रभर
बेक़सूर ही जलते हैं धर्म के नाम पर यहाँ
बदलो जबरदस्ती तुम अपना धर्म
जो न माने, उसको लालच दो तुम
उडाओ गरीबी का भद्दा सा मजाक
करवाओ दंगे धर्म के नाम पर
मात्र अपना स्वार्थ साधने के लिए
डालो भाई भाई में फूट ,लड़ाओ इन्हें
ये राजनीतिज्ञ नेता,धर्म के ठेकेदार
धर्म को ही अपना प्रोपर्टी मानते हैं
मात्र इनका स्वार्थ पूरा होना चाहिए
ये लोग नहीं सोचते दंगों की आग में
एक जिन्दगी जलती है सुलगती कितनी हैं
जिन्दगी बन जाती है एक दुर्गम पहाड़
कितने बच्चे हो जाते हैं अनाथ
कितनी औरतें हो जाती हैं विधवा
बूढ़े लाचार बुजुर्गों कि डबडबाई ऑंखें
ढूँढती हैं अपने जीवन के सहारे को
यही सब तो है जीवन के धर्म की हत्या
आश्चर्ये हुआ न आपको यह सुनकर
धर्म के नाम पर कितने ही लोग यहाँ
सुलगते हैं जिन्दा लाश बनकर उम्रभर
बेक़सूर ही जलते हैं धर्म के नाम पर यहाँ
बदलो जबरदस्ती तुम अपना धर्म
जो न माने, उसको लालच दो तुम
उडाओ गरीबी का भद्दा सा मजाक
करवाओ दंगे धर्म के नाम पर
मात्र अपना स्वार्थ साधने के लिए
डालो भाई भाई में फूट ,लड़ाओ इन्हें
ये राजनीतिज्ञ नेता,धर्म के ठेकेदार
धर्म को ही अपना प्रोपर्टी मानते हैं
मात्र इनका स्वार्थ पूरा होना चाहिए
ये लोग नहीं सोचते दंगों की आग में
एक जिन्दगी जलती है सुलगती कितनी हैं
जिन्दगी बन जाती है एक दुर्गम पहाड़
कितने बच्चे हो जाते हैं अनाथ
कितनी औरतें हो जाती हैं विधवा
बूढ़े लाचार बुजुर्गों कि डबडबाई ऑंखें
ढूँढती हैं अपने जीवन के सहारे को
यही सब तो है जीवन के धर्म की हत्या
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