बदले बदले से अंदाज़ नज़र आते हैं
आसमान में महताब नज़र आते हैं
कैसे कह दूँ दिल का हाले बयाँ जानम
गुलिस्ताँ के सूखे गुलाब नज़र आते हैं
इतने बढ़ गए मेरे दिल के स्याह अंधेरे
जलते चिराग भी बे-नूर नज़र आते हैं
इतने उठाये सवालात बे-रहम दुनिया ने
तुम में ही सब मेरे जवाब नज़र आते हैं
बयान करूँ क्या मैं राज-ए-जिंदगी "ज्योति"
अपनी किताब के पन्ने खुले नज़र आते हैं
आसमान में महताब नज़र आते हैं
कैसे कह दूँ दिल का हाले बयाँ जानम
गुलिस्ताँ के सूखे गुलाब नज़र आते हैं
इतने बढ़ गए मेरे दिल के स्याह अंधेरे
जलते चिराग भी बे-नूर नज़र आते हैं
इतने उठाये सवालात बे-रहम दुनिया ने
तुम में ही सब मेरे जवाब नज़र आते हैं
बयान करूँ क्या मैं राज-ए-जिंदगी "ज्योति"
अपनी किताब के पन्ने खुले नज़र आते हैं
वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
ReplyDeleteगहरे भावों के साथ सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDelete.
क्या सिलेंडर भी एक्सपायर होते है ?