घुटी घुटी सिसकियों में
चंद साँसें अभी बाकी हैं
दबी कुचली जिन्दगी में
चंद लम्हे अभी बाकी हैं
टूट के बिखरे सपनों में
अभी भी जान बाकी है
.............................. ..
भागमभाग में व्यस्त इंसां
बचा नहीं किसी में अब इमाँ
अपनों से मिलता दर्द यहाँ
कटुता भरा हुआ जाता
पारिवारिक रिश्ता नाता
ये कैसा खेल तेरा ऐ विधाता
.............................. ......
जो करना है सो आज कर डालो
वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
रुकना नहीं कभी हार के जिन्दगी में
जो बीत गया वो वापस हुआ नहीं करता
प्यार करो आत्मा से, दिलो जान से
बेवफा कभी सच्चा प्यार नहीं करता
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चंद साँसें अभी बाकी हैं
दबी कुचली जिन्दगी में
चंद लम्हे अभी बाकी हैं
टूट के बिखरे सपनों में
अभी भी जान बाकी है
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भागमभाग में व्यस्त इंसां
बचा नहीं किसी में अब इमाँ
अपनों से मिलता दर्द यहाँ
कटुता भरा हुआ जाता
पारिवारिक रिश्ता नाता
ये कैसा खेल तेरा ऐ विधाता
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जो करना है सो आज कर डालो
वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
रुकना नहीं कभी हार के जिन्दगी में
जो बीत गया वो वापस हुआ नहीं करता
प्यार करो आत्मा से, दिलो जान से
बेवफा कभी सच्चा प्यार नहीं करता
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