गर्मजोशी के नगर में मुझे तन्हाई मिली
चांदनी चाही थी मगर मुझे गहने मिली!!
बुझ गया चिराग सूरज का शाम सहारा में
फिर महो -अंजुम को जी उठाने की रुसवाई मिली!!
फिर कोई आया है मेरे सहने - खवाब में
मेरे हर जखम को फिर कोई पुरवाई मिली !!
खूबसूरत आँखों को तेरी झील समझा था मैंने
चांदनी चाही थी मगर मुझे गहने मिली!!
बुझ गया चिराग सूरज का शाम सहारा में
फिर महो -अंजुम को जी उठाने की रुसवाई मिली!!
फिर कोई आया है मेरे सहने - खवाब में
मेरे हर जखम को फिर कोई पुरवाई मिली !!
खूबसूरत आँखों को तेरी झील समझा था मैंने
तैरने उतरी तो सागर की गहरे मिली !!!
फिर हो गई हैं यादें मेरी जख्मों की ताज़ा
फिर मेरी आँखों को 'ज्योति 'गोयाई मिली!!
फिर हो गई हैं यादें मेरी जख्मों की ताज़ा
फिर मेरी आँखों को 'ज्योति 'गोयाई मिली!!
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