रंग लिया तेरी प्रीत से तन मन सजन
रंग मेहंदी का सजाया इन हाथों में
प्रीत की ओढ़ी मैंने तेरी चुनर
तुम ही हो मन देवता मेरे सजन
तेरी झूठी बातों पर वह रूठना मेरा
आकर चुपके से मुंह चूमना तेरा
धीरे से कानों में सुनाना प्रेम गीत
हैं स्मरण प्रतिक्षण मुझे मेरे सजन
रंग मेहंदी का सजाया इन हाथों में
प्रीत की ओढ़ी मैंने तेरी चुनर
तुम ही हो मन देवता मेरे सजन
तेरी झूठी बातों पर वह रूठना मेरा
आकर चुपके से मुंह चूमना तेरा
धीरे से कानों में सुनाना प्रेम गीत
हैं स्मरण प्रतिक्षण मुझे मेरे सजन
वह तेरा गुस्सा तेरी मनुहार सब
मैंने है सहेजा हृदय में प्यार सब
हैं अभी तक भी बसे आँखों में पल
करते हैं मन को विकल मेरे सजन
भूल बैठी हूँ अपने अस्तित्व को
कर दिया सब कुछ तुम्हें अर्पण
मान रखा हैं तुम ही को मन देवता
हर अर्चना तुमको अर्पित है सजन jyoti dang
मैंने है सहेजा हृदय में प्यार सब
हैं अभी तक भी बसे आँखों में पल
करते हैं मन को विकल मेरे सजन
भूल बैठी हूँ अपने अस्तित्व को
कर दिया सब कुछ तुम्हें अर्पण
मान रखा हैं तुम ही को मन देवता
हर अर्चना तुमको अर्पित है सजन jyoti dang
अति सुन्दर रचना..
ReplyDeleteबहुत खूब सुंदर रचना,,,,
ReplyDeleteकरवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,,
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