कहे अनकहे रिश्ते
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जिन्दगी में तमाम कहे रिश्ते
साथ चले सिर्फ नाम के लिए
पिता था एक मेरी जिन्दगी में
भाई था सिर्फ नाम ही के लिए
बाप ने मुझे एक नाम दिया था
बढ़ी कैसे? लड़ी कैसे मुश्किलों से
अहसास नहीं था न भाई को मेरे
न रत्तीभर उस पिता को ही मेरे
दुःख नहीं था इस बात का कोई
मगर वह नाम जुड़ा था मुझसे
मेरे बजूद में पैबस्त खंजर सा
भाई भी नाम के लिए भाई थे
ससुर, सास, जेठ देवर के रिश्ते
सब के सब मेरे खोखले निकले
मैंने दोस्त माना जिसे वह पति
जिन्दगी भर जपा जिस नाम को
उसी ने जिन्दगी हराम की मेरी
कुछ लोग आये दोस्त बनकर के
उनका भी एक ही मकसद था बस
मेरे शरीर को ही हासिल करना
फिर कहीं से आया जिन्दगी में
एक अनछुआ और अनकहा रिश्ता
जिसने मेरी जिन्दगी को सजाया है
मेरे मन को नयी एक रौशनी दी है
मुझको जताया है है मेरी हस्ती को
मेरे सपनो को उड़ान प्यार की देकर
अब मैं कह सकती हूँ खुद से"ज्योति"
वो मेरा शिव है मैं हूँ उसकी पार्वती
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जिन्दगी में तमाम कहे रिश्ते
साथ चले सिर्फ नाम के लिए
पिता था एक मेरी जिन्दगी में
भाई था सिर्फ नाम ही के लिए
बाप ने मुझे एक नाम दिया था
बढ़ी कैसे? लड़ी कैसे मुश्किलों से
अहसास नहीं था न भाई को मेरे
न रत्तीभर उस पिता को ही मेरे
दुःख नहीं था इस बात का कोई
मगर वह नाम जुड़ा था मुझसे
मेरे बजूद में पैबस्त खंजर सा
भाई भी नाम के लिए भाई थे
ससुर, सास, जेठ देवर के रिश्ते
सब के सब मेरे खोखले निकले
मैंने दोस्त माना जिसे वह पति
जिन्दगी भर जपा जिस नाम को
उसी ने जिन्दगी हराम की मेरी
कुछ लोग आये दोस्त बनकर के
उनका भी एक ही मकसद था बस
मेरे शरीर को ही हासिल करना
फिर कहीं से आया जिन्दगी में
एक अनछुआ और अनकहा रिश्ता
जिसने मेरी जिन्दगी को सजाया है
मेरे मन को नयी एक रौशनी दी है
मुझको जताया है है मेरी हस्ती को
मेरे सपनो को उड़ान प्यार की देकर
अब मैं कह सकती हूँ खुद से"ज्योति"
वो मेरा शिव है मैं हूँ उसकी पार्वती
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