Tuesday, September 6, 2011

चेहरा


कितना याद हैं कितना याद आता है!
तेरा चेहरा तन्हाई बढ़ा जाता है!!

रात तीरगी में अकसर हमदम!
खुद न सोता है मुझको जगा जाता है!!

यादों से कहो मुझको न याद आया करें!
इनके जाने का गम मुझको रुला जाता है!!

मुकरने की अदा यूँ ही संभाले रखना"ज्योति"!
तेरे चेहरे का नूर,ये चाँद सा बढ़ा जाता है!! 

4 comments:

  1. ज्‍योति जी, शब्‍दों में उतर आया है आपकी कल्‍पना का चेहरा। बधाई।

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    ब्‍लॉग समीक्षा की 32वीं कड़ी..
    पैसे बरसाने वाला भूत...

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  2. ज्‍योति जी, शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।

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  3. यादों से कहो मुझको न याद आया करें!
    इनके जाने का गम मुझको रुला जाता है!!सुन्दर...

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  4. कितना याद हैं कितना याद आता है!
    तेरा चेहरा तन्हाई बढ़ा जाता है!! bhaut khubsurat panktiya...

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