कितना याद हैं कितना याद आता है!
तेरा चेहरा तन्हाई बढ़ा जाता है!!
रात तीरगी में अकसर हमदम!
खुद न सोता है मुझको जगा जाता है!!
यादों से कहो मुझको न याद आया करें!
इनके जाने का गम मुझको रुला जाता है!!
मुकरने की अदा यूँ ही संभाले रखना"ज्योति"!
तेरे चेहरे का नूर,ये चाँद सा बढ़ा जाता है!!
ज्योति जी, शब्दों में उतर आया है आपकी कल्पना का चेहरा। बधाई।
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ब्लॉग समीक्षा की 32वीं कड़ी..
पैसे बरसाने वाला भूत...
ज्योति जी, शायद आपने ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।
ReplyDeleteयादों से कहो मुझको न याद आया करें!
ReplyDeleteइनके जाने का गम मुझको रुला जाता है!!सुन्दर...
कितना याद हैं कितना याद आता है!
ReplyDeleteतेरा चेहरा तन्हाई बढ़ा जाता है!! bhaut khubsurat panktiya...