पीर में पीर बढ़ाना और तडपाना उनका
दर्द रह रह के बताता है ठिकाना उनका
जख्म दिया ऐसा जो कभी ज़ख्म न लगे
याद आया है आज मरहम लगाना उनका
आज फिर आया है बरसात का रंगीन मौसम
याद आया है फिर तन मन भिगाना उनका
आज भी कडकी है आसमा में बिजली यहाँ
याद आया है बाजुओं में छिप जाना उनका
जी में आता है हो जाए एक बार फिर उनका तस्सवुर
मेरी गजलों में अब भी है ठिकाना उनका
आज फिर रो लेने दो उनकी यादों में "ज्योति"
याद आया है आज फिर मुस्कराना उनका
दर्द रह रह के बताता है ठिकाना उनका
जख्म दिया ऐसा जो कभी ज़ख्म न लगे
याद आया है आज मरहम लगाना उनका
आज फिर आया है बरसात का रंगीन मौसम
याद आया है फिर तन मन भिगाना उनका
आज भी कडकी है आसमा में बिजली यहाँ
याद आया है बाजुओं में छिप जाना उनका
जी में आता है हो जाए एक बार फिर उनका तस्सवुर
मेरी गजलों में अब भी है ठिकाना उनका
आज फिर रो लेने दो उनकी यादों में "ज्योति"
याद आया है आज फिर मुस्कराना उनका
KHUBSURAT, LAAJWAB, OR KYA KAHE. . . BAHUT ACHI LAGI YE GAJAL. . .
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT