प्रगति के रथ पे
सवार मनुष्य
चलता ऐसे
कुचलता हुआ
सभी की भावनाओं
को
अपने स्वार्थ हेतु
आगे ही आगे
बढ़ता जाता
संवेदनाएं भी
पल पल दम
तोड़ती
दरकते रिश्ते
कलुषित होती
मानवता
चहुँ और
नज़र आती
पैसे की दानवता
अब जी हजूरी
भी जरूरी
पैसे की जो
मजबूरी
प्रेमिका भी
अब उसकी
नोटों से भरी हो
जेब जिस की
दिल में अब वो
अहसास कहाँ
मर चुके हो
जज़्बात यहाँ
लैला मजनूं , हीर राँझा
के अफसाने बन गये
गुजरे ज़माने
के फ़साने
साधू संतों, पीर पैगंबरों
गुरु ,देवी देवताओं की
शिक्षाओं को
भूल
आज इंसान बन बैठा
शैतान
आज करोड़ों रुपये
सोना चाँदी है
साईं के नाम
क्योंकि पैसा ही है
आज का भगवान्
सवार मनुष्य
चलता ऐसे
कुचलता हुआ
सभी की भावनाओं
को
अपने स्वार्थ हेतु
आगे ही आगे
बढ़ता जाता
संवेदनाएं भी
पल पल दम
तोड़ती
दरकते रिश्ते
कलुषित होती
मानवता
चहुँ और
नज़र आती
पैसे की दानवता
अब जी हजूरी
भी जरूरी
पैसे की जो
मजबूरी
प्रेमिका भी
अब उसकी
नोटों से भरी हो
जेब जिस की
दिल में अब वो
अहसास कहाँ
मर चुके हो
जज़्बात यहाँ
लैला मजनूं , हीर राँझा
के अफसाने बन गये
गुजरे ज़माने
के फ़साने
साधू संतों, पीर पैगंबरों
गुरु ,देवी देवताओं की
शिक्षाओं को
भूल
आज इंसान बन बैठा
शैतान
आज करोड़ों रुपये
सोना चाँदी है
साईं के नाम
क्योंकि पैसा ही है
आज का भगवान्
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