Monday, July 15, 2013

मैं जानती ही नहीं थी कि 
पिता भी जरुरी होता है 
माँ की ही प्यारी जो थी 
जरुरत ही नहीं लगी मुझे
आज जब तुम नहीं हो 
माँ बहुत रोती है बाबा 
आज मुझे मालूम हुआ है 
तुम तो माँ की मुस्कान थे
मैं तुम्हारी ही छाया में रही 
और तुमने विदा कर दिया 
एक पराये घर में 
तब याद आये थे मुझे तुम
हाँ तुम्हारी यादें मैंने 
सहेज राखी हैं सारी
अब मन की किताब में ही 
तुम्हें देख लूगी ...बाबा

2 comments:

  1. बहुत खूब ....कुछ यादे हमेशा साथ रहती है



    आपको एक सलाह देनी है ज्योति ....आप लिखने के साथ साथ अन्य ब्लॉगो को पढ़ने और देखने में भी रूचि रखे ....आभार

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  2. मार्मिक भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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