माँ तुम चुप क्यों रही ?
जबकि तुम जानती थी -
मेरा बालात्कार हुआ है ,
हे ! पिता कहाँ गया ?
तुम्हारा पौरुष बल
कैसे मिमिया रहे थे तुम
उस वर्दी धारी के समक्ष
जिसने तुम्हारे ही सामने
मुझे निर्वस्त्र सा कर जांचा था
कैसे वह मुझ पर ही
लांछन लगाता रहा और
तुम मूक खड़े
पक्ष तक नहीं ले सके मेरा
मैं जानती हूँ कि
अभी कई और बार होगा
मेरा अधिकृत बालात्कार
न्यायालय की हर पेशी पर
वकील की हर दलील पर
हर नजर काटेगी मेरे वस्त्र
हर एक देखेगा कामुकता से
मगर ...हे ! पिता
क्या तुम बता सकते हो ?
मेरे लिए जीवन ऐसा क्यों है ?
मैं कोई धरती नहीं हूँ
जो धैर्य से सब सहन कर ले
मुझे चंडी बनना ही होगा अब