Monday, September 23, 2013

औरत को तुम क्या समझते हो ? जब देखो तुम्हारी निगाहें घूरती रहती हैं .जवान जिस्म लार टपकती रहती है ... सहवास की आस में जागते हुए स्वप्न देखते हो तुम तुम्हारी अपूर्ण इच्छाओं से कितनी बार होता है वस्त्रों में स्खलन तुम्हारा फिर भी तुम मनाते हो महिला दिवस मदर्स्र डे..... पुत्री दिवस और यह आशा भी करते हो स्त्रियाँ बांधती रहे कलाई पर रंगीन सजधज भरी राखियाँ छोड़ दो दिवास्वप्न देखना अब स्त्रियाँ उसे ही रक्षा बंधन सूत्र बांधेंगी जो इस लायक हों आज मैं अपनी ही बेटी को रक्षा का सूत्र बाँध रही हूँ जो मेरे साथ है ..मेरी दोस्त और मेरी रक्षक बनकर

Friday, September 20, 2013

MAIN APNI LIKHI YE NEW SHORT POEM MERE GUD FREND AJJU KO DEDICATE KAR RAHI HOON APNI IS KAVITA DWARA AJJU KO APNE SHARADHA SUMAN ARPIT KARTY HOON ...RIP....
तुम्हारा जाना ....इस दुनिया से 
मेरे लिए क्या है ....क्या बताऊँ 
समझ भी कौन सकता है ..इसको
जहाँ लोग .... कभी भी जीवन में
जिस्म से आगे गए ही नहीं .....
तुम मेरे लिए ....जिस्म नहीं थे
तुम मेरे दोस्त थे .......हाँ दोस्त
इसे वाही समझ सकता है .......
जो जानता हो दोस्ती क्या होती है
इसलिए मैं खामोशी का गुलदस्ता
अपनी यादों का और सवालों का
तुम्हें ही सौंप रही हूँ ..मेरे दोस्त..........

Friday, September 6, 2013

अरे ! बापू ये क्या किया तूने ? तुम्हे तो पूजा था हमने प्रभु की तरह आरती उतारी थी तुम्हारी हमने दीप धूप थाली में जलाकर लेकिन कहाँ मालूम था ये हमें तुम्हें भाति हैं कच्ची कलियाँ देह की माया और मुक्ति से विरक्ति का तुम ही तो प्रवचन करते थे सदैव ये तुम्हारा कलुषित रूप ???? क्या पूजा योग्य है ?? तुम तो ठग ही निकले .. आस्था और विश्वास के धर्म के नाम पर ... हजारों प्रश्न खड़े हैं हमारे सम्मुख और हम लज्जित हैं
  • 1.तुम मुझे याद करो और मैं आऊँ न "ज्योति" ऐसी मेरे नादाँ दिल की हुकूमत तो नहीं है अभी.............

    2.हो गया दूर दिल उनको लगता है ये 
    क्या करें हम अजब दिल के हालात हैं

    3.अब रहम हो हाले दिल पर मौत से इजाजत मांगकर आई हूँ
    अब कुछ साँसे बाकी हैं जिंदगी की बस वही सौगात देने आई हूँ

    4.अब ठिकाना है कहाँ तेरे दिल के सिवा
    याद है और तू है ये ही बताने आई हूँ
  • August