Thursday, May 23, 2013

1.अय गम मुझे तेरी आदत सी हो गयी अब 
"ज्योति" जब भी जी आये चले आओ तुम
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2.अब हंसी को दुश्मनी है या दुश्मन हूँ हंसी की
हर राह गम से "ज्योति" पूछती फिरती हूँ मैं................. jyoti dang

Monday, May 20, 2013

हिंदी अपनी है राष्ट्रभाषा
हिंदी ही अपनी जान है
यह प्रेममई रहिंदी भाषा 
मेरे देश की शान है
अपने एकता की पहचान है 
हिंदी है प्राण देश का 
यह अपना अभिमान है 
सीख रहा है विश्व इसी को
यह एक वैज्ञानिक ज्ञान है 
संवाहक है संस्कृति की
यह नव देवों का गान है 
दर्पण है जन साहित्य का 
यह सृजन का सम्मान है 
यही प्राणमयी गंगा है
अपने संवेदना संचार की 
अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी पर 
हम सबको अभिमान है

Friday, May 17, 2013


किताब
तू है एक किताब
तुझ मे रहती दुनिया की
जानकारियाँ बेहिसाब
कभी तू हंसा जाती
कभी रुला जाती कभी
बिखरे पलों को भी समेटे
गमों की परछाईयाँ कभी
तुझ मे दिखाई पड़ती हैं
किसी की तू जीवनी बन जाती
कभी शेर-ओ- शायरी बतलाती
कभी कवितायों की पोटली बनती
कभी चुटकलों से लोटपोट करती
कभी परमात्मदर्शन का पथ देती
कभी तू सितारा-शनास बन जाती
कभी इंसानियत का पाठ दर्शाती
फुरस्त के पलों की साथी तुम
दुनिया के साथी साथ छोड़ जाते
तब मूक तू साथ निभाती
कितनी संज्ञांये दूं तुझको मैं
तेरे नाम भी तो हैं बेहिसाब
तू ही दिल के करीब किताब !

जिन्दगी के सभी गम उसके मुझे दे दो !!
मेरी सारी खुशिया मेरे सनम को दे दो !!
मेरा क्या ,आदत है ग़मों में रहने की !!
खुदा मेरे मेरी खुशियाँ सभी उसे दे दो !!
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प्यार ही इबादत है !!
प्यार ही पूजा है !!
प्यार ही खुदा है !!
प्यार से न बढ़ के,
कोई दूजा है !!
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दिल जिसे चाहे,
वो मिल जाए
ऐसा होता नहीं 
अगर होता यही 
तो आज वो,
किसी और
का नहीं!!
मेरा सनम होता !!

सत गुरु और शिष्य
सत गुरु क्या हैं होते हैं
क्या हम जानते हैं ये
क्या हम ,नहीं समझते
सत गुरु शिष्य का
रूपांतरण हैं करते !!
रूपांतरण ज्ञान ही नहीं
आत्म अनुभूति होता है
अन्तकरण और मन की
वे वासना को मिटाते हैं !!
नर को नारायण
सत गुरु ही बनाते हैं
आज के युग में
ऐसे गुरु कहाँ मिलते हैं
वह शिष्य कहीं खो गए
जो गुरु को गुरु है मानते हैं
शायद शिष्यों से ही गुरु भी
पहचाना जाता है
जब वे जिवंत अध्यात्म को
अतारते जीते हैं जीवन में
गुरु मुक्त करते हैं आडम्बर और
अज्ञान के अँधेरे से मन के
दर्शन कराते हैं आत्मा के
आत्मज्ञानी बनाते हैं
अपने शिष्य को
कितु
अभी के व्यवहार को देखकर
लगता है की गुरु लोग
अपनी कोई सेना बनाते हैं
जो उनकी unpaid सेवा
के लिए प्राण भी देती है अपने
अजब माया है गुरुओं की
खुद ये सब में उलझे हैं
माया और मोह में

Wednesday, May 15, 2013

भारत में नारी

भारत में नारी 
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ग्रामीण नारी 
मध्यवर्गीय नारी 
विकसित नारी
१. ग्रामीण नारी - भारत में ग्रामीण नारी पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलकर चलती है 
लेकिन उसे उसके अधिकारों का ज्ञान नहीं है वह आज भी पुरुष के अत्याचारों का शिकार है 
पंचायत में भी पुरुष ही प्रमुख हैं इस लिए महिलाओं की बात को अह्मियात नहीं मिलती
२.मध्यवर्गीय नारी -घर का भार उठती है आफिस में ,समाज में, घर में अपनी भागीदारी होते
हुए भी वह घरेलू हिंसा का शिकार है पति को खुश करना , बॉस को खुश करना , बचों को खुश
करने की जुगत में अपनी ही जिंदगी नहीं जी पाती हर जगह नारी को ही एडजस्ट करना
पड़ता है यह दिखावे की जिंदगी जीने पर मजबूर है महंगाई की वजह से सब से अधिक मार इस
वर्ग पर ही पड़ रही है यह ना तो नीचे के स्तर पर जा सकते हैं और भारतीय मानसिकता को
पलते हुए उपर के वर्ग की तरह पुरष को सीढ़ी बनाकर वह काम भी नहीं चला सकती
३. विकसित नारी- विकसित नारी के भी सामने भी अनेकों समस्याएं हैं या कहें कि अविश्वासों
और कठिनाइयों के जंगल की वह योधा है वे राजनीती में , कार्पोरेट घरानों में अपनी मौजूदगी
को दर्शा रही है उसके सामने सबसे बड़ी समस्या है कि लोग उन्हें योग्या नहीं भोग्या अधिक समझाते हैं
आज सब से अधिक प्रगति अगर ये कर रही है तो शोषण की शिकार भी यही है आज वे उस पैदल योधा की
तरह है जो कि जीत को सुनिश्चित करती है नारी समाज की
नारी उत्थान के लिए क्या करें

१. शिक्षा - ये सब से जरूरी है .
२. धर्म भीरुता को त्यागना .
३. अपने अधिकारों को जानना .
४ .नए कानूनों को बनाना
५. कानूनों की जानकारी महिलाओं तक पहुँचाना
६. महिला पुलिस और स्पेशल महिला चौंकियां बनाना
७. महिलाओं के लिए अलग से योजनायें बनाना
८. महिलाओं को आरक्षण देना सभी क्षेत्रों में ....................... jyoti dang

Monday, May 13, 2013

ਰਾਂਝਾ ਕਹਿੰਦਾ ਤੂੰ ਹੁਣ ਸੁਣ ਹੀਰੇ 
ਪਿਆਰ ਕਰਦੀ ਤੂੰ ਪੈਸੇ ਕਾਰ ਨੂੰ 

ਰੂਹ ਰਹੀ ਨਾ ਹੁਣ ਏ ਆਸ਼ਕਾਂ ਦੀ 
ਤੁਰ ਪਿਆ ਵਿਕਣ ਲੈ ਬਾਜ਼ਾਰ ਨੂੰ 

ਕਦਰ ਰਹੀ ਨਾ ਰਾਂਝਾ ਵਿਕਿਆ 
ਵੇਖ ਵਿਕਿਆ ਸੋਨੇ ਦੇ ਹਾਰ ਨੂੰ 

ਸੋਹਣੀ ਵਹਿੰਦੀ ਨਾ ਵਿੱਚ ਝਨਾ ਅੰਦਰ 
ਮਹਿਵਾਲ ਵੀ ਲੋਚੇ ਹੁਸਨ ਬਾਜ਼ਾਰ ਨੂੰ ................. jyoti dang

Thursday, May 9, 2013

1.तुम्हें हक है नाराज होने का दिलवर मेरे "ज्योति"
ये दिल क्या करे इसे और भी गम हैं दिल के लिए
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2.खौफ कहो उस रोज से जब हम न होंगे जहाँ में
किस से रूठोगे " ज्योति" किसको तब मनाओगे
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3.उफ़ तेरा गुस्सा भी क़यामत से कम नहीं"ज्योति"
तुम जब रूठते हो बड़े अछे लगते हो हमें या र
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4.इतना गुस्सा न करो और ऐसे न बुलाओ हमको
तेरी सदा पे हम अपनी कब्र भी छोड़ आयेंगे "ज्योति"
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Saturday, May 4, 2013

पीट देते हो मुझे और सदा कहते हो 
मेरे मैं तुझे प्यार बहुत करता हूँ !!

फेल न हो जाऊं सीखने में हुनर दुनिया का 
सच मैं कहता हूँ मेरे बाप बहुत डरता हूँ !!

भूल जाता हूँ मैं अक्सर मेरी छोटी बुद्धि है 
पाठ को याद मैं बार बार बहुत याद करता हूँ !!

जानता हूँ तेरे सपनों की ताबीर हूँ मैं 
अपने सपनो का मैं खून बहुत करता हूँ !!

हर घडी हाथों में रहती हैं किताबें मेरी
हिदायतें बाप तेरी याद बहुत करता हूँ !!

जानता हूँ ये मेरे बचपन का खून लेकिन
तेरे सपनों पे बचपन निसार बहुत करता हूँ !!

मेरी जगह भी कभी बैठ कर देखो बाप
कैसे मैं ख़ुशी पर अपनी वार बहुत करता हूँ !!

...............................jyoti dang