Monday, February 18, 2013

होता नहीं है इंतज़ार तेरी सदा के बाद !!
देखें भला क्या दुनिया तुझे देखने के बाद!!

आँखों में बस गया था बस तेरा ही सरूर!!
पैमाना क्या उठाएँ हम तेरी अदा के बाद!!

कट कट के दिल के मेरे कतरे से हुए हैं !!
घायल हुआ है सीना नज़रें कमाँ के बाद !!

अभी देखने के दिन है जीभर के देख लो!!
पलटती नहीं जवानी बस एक उमर के बाद!!

सजना संवरना छोड़ दो दिल की ये बात है!!
कौन रूप देखता है दिल के मिलन के बाद!!

देकर मुझे आवाज़ न यूँ दोस्त बुलाओ !!
अपनी कहाँ रहीं हूँ'ज्योति' तेरी सदा के बाद!!

Tuesday, February 12, 2013

दिल अब मेरा कैसे घबराने लगा है
साया मेरा मुझसे दूर जाने लगा है

सुनाई दे रही हैं हर तरफ़ सिसकियाँ
हर श्रृंगार से अब ख़ौफ़ आने लगा है

लगी काँपने दामिनी की रूह भी अब
अजब दुष्कर्म का दौर छाने लगा है

देखी है मैने बेबसी लाचार आँखों में
साया खुद से नज़रें चुराने लगा है

सवालाती दौर है हर दिल दरिया में
हर सवाल "ज्योति" सताने लगा है.......... jyoti dang
ये मेरी सब से पहली लिखी कविता है जो मैने अपनी माँ के लिए लिखी थी 

वो एक सांवला सा चेहरा 
चश्मे से झाँकती दो आँखें
चेहरे पर पड़ती झुर्रियाँ 
जैसे अनुभव की लकीरें
आधी से ज़्यादा आयु देख 
चुकी, ये है मेरी माँ

वो पल, वो माह वो साल 
जो मैने उनके साथ बिताए
सुबह सुबह उठना, आँगन
बुहारना, बर्तनों की खटपट
चुहले पर रोटियाँ सेकना
हम सब के लिए दिन रात
ख़टते रहना, अपना कोई होश
ना होना, ये है मेरी माँ

हम कब और कैसे बड़े हुए
इसका कोई अनुमान ना था
मेरे बाबा को,उनका होना, ना
होना,एक समान था मेरी माँ
के लिए,तजिंदगी गुज़ार दी
बाबा के साथ,हमारी खातिर
ये है मेरी माँ

बुढ़ापे में अकेली रह गई
जिन बेटों के लिए मरती
रही,वही छोड़ कर चले गए
अपनी अपनी राहों पर,फिर
भी कोई शिकवा शिकायत
नहीं,उस परमात्मा से,बस
सब का भला सोचती है
ये है मेरी माँ....................... jyoti dang

Sunday, February 10, 2013

नशे की गर्त में डूबे हैं नौज़वान
जवानियाँ खा रहे देश की शैतान
कि भर रहे हैं नसून में अपनी ज़हर
पी रहे हैं सिगरटों में ब्राउन शुगर 
झोंकते अपने जीवन को गर्त की डगर 
मर रहे तिल तिल खुद को छिपते मगर
देश के गदारों के भरते हैं दौलत से घर
देख लो जवानियाँ चली मौत की डगर
जिंदगी को जीना है तो छोड़ दो नशा
जिंदगी को क्यूँ भेजते हो शमशान की डगर..

Sunday, February 3, 2013

तेरे हाथों पर मुहब्बत की दुआ लिखूंगी 
तेरे लबों पर नाम मैं अपना लिखूंगी !!
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तुम जिसे छू लो ग़ज़ल हो जाए 
तेरे चाहने से जिंदगी की अजल हो जाए !!
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कौन कहता है मुहब्बत मौत देती है
मौत क्या किसी की जिंदगी नहीं होती !!
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वो मुझे कहते हैं इस हालत पर लिखूं
सवालातों की मौज है दिल दरिया में
किस बात पर लिखूं !!
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उसने खिलाया मीठा और कहा पक्का हो गया
कितना पुराना प्यार का रिश्ता खट्टा हो गया !!