Tuesday, August 28, 2012

अब तो मौत को भी मैं तेरे संग ही गले लगाऊंगी

मुहब्बत का जब दौर चलेगा तेरी आँखों में बस जाऊंगी!!
जब सामने न होउंगी मैं, तब तुम्हे याद बहुत.....आऊंगी 

तुम्हारी छाया हूँ मैं, कैसे भूल पाओगे तुम ये.........बात 
तुम जहाँ भी होगे प्रिय ! मैं संग तुम्हारे वहीँ चली ..आऊंगी 

मेरी हर धड़कन में बस तुम ही तुम हो और नहीं... कोई !!
आखरी साँस तक दिल में ही ... अपना मैं घर बसाऊँगी !!

मेरी हर आती जाती सांस पर अब हक्क है तुम्हें सौंपा !!
जिन्दगी का हर गीत प्रिये! अब मैं तेरे ही संग गाऊंगी !!

इतना दम नहीं इस दुनिया में प्रिय! छीन ले जो तुमको !!
अब तो मौत को भी मैं तेरे संग ही गले ......लगाऊंगी !!

Friday, August 24, 2012

वहशी दरिंदे, नन्ही कलियाँ


Saturday, August 18, 2012

राजनीति और नेता

राजनीति के शीशे में छाया काला गहन अंधेरा है!!
यहाँ नहीं कुछ तेरा मतदाता जो सब है सो मेरा है!!

तुमने वोट देकर मुझको अपने सिर पर बैठाया है!!
अब मैं सिर पीटूँ या राग गढ़ूं सारा काम ये मेरा है!!

तुम जनता हों मैं शासक हूँ मेरा हुकुम बजाना है!!
मेरी थाली सजी रहे तुम्हे सूखे से काम चलाना है!!

जो मुझे जँचे वही सही, अब बाकी झूठ बहाना है!!
सोयूँ मखमल गद्दों पर,तुम्हे मिटटी सेज़ सजाना है!!

बस राजनीति के फेरे में तुम्हे एक बटन दबाना है!!
तुम क्या हो मैं क्या जानूं, तुम को ये समझना है!!

ये लोकतंत्र है भीड़ तंत्र मैने वोटों को खरीदा है!!
व्यपार है कोरा लोकतंत्र, भूखों को ये बतलाना है!!

भोपू सता का मेरे हाथ बस मेरा साथ निभाना है!!
मुझे देशधर्म से क्या लेना अपना साम्राज्य बढ़ाना है!!

तुम को जो उँचा कर दूँगा देकर मैं संबल अपना!!
ऐसा मूर्ख नेता मैं नहीं, अपना वर्चस्व बढ़ाना है!!

ये देश धर्म और आदमीयत, ये सब झूठी बातें हैं!!
लाशों पर ही चाहे हो मुझे अपना तख्त बिछाना है!!

Friday, August 17, 2012

भूलकर अपनी खुदी खुदा को पाया जाता है!!

पराया करके खुद को प्यार किया जाता है !!
भूलकर अपनी खुदी खुदा को पाया जाता है!!

प्यार एक साँस है आती है अपनी होकर !!
जब ये जाती है तो इंसान गुजर जाता है !! 

खुश्बू देते हैं फूल महकते हुए खुशी के लिए!!
निसार होना ही फूल का जीवन सदा कहता है !!

जलाते हैं दिल को धोखा दे कर दूसरों के !!
प्यार उनके लिए एक खेल सा हो जाता है!!

दिल को घर बनाया है मैंने तेरे प्यार का!!
तेरे आने से जिंदगी में सुकून आ जाता है!!

मर के जनाज़ा मेरा तेरे ही कांधे पर उठे!!
"ज्योति" पा के सनम खुदा को पाया जाता है

Tuesday, August 14, 2012

हम हैं हर मुश्किल से जो टकरा के चलते हैं!!

हम हैं हर मुश्किल से जो टकरा के चलते हैं!!
काफ़िर हैं वो जो अपना दामन बचाके चलते हैं!!

तेरी याद आती है तो रो लेते हैं तन्हाई में!!
वरना तो हर कदम हम मुस्कुरा के चलते हैं!!

किस्मत ना जाने क्यूँ लेती है पग पग परीक्षा!!
हम हैं काँटों पर भी जो मुस्कुरा के चलते हैं!!

रात बीत जाती दुखों के सागर में डूबते उभरते!!
मेरे अपने ज़ख़्मों पर नमक लगाके चलते हैं!!

तुम आए हो मेरी जिंदगी में बन प्यार की किरण!!
पा कर प्रीत तुम्हारी अब हम मुस्कुरा के चलते हैं!! 

Sunday, August 12, 2012

वो घूरते हैं ज़िस्मों को,

वो घूरते हैं ज़िस्मों को,
अपनी ऐनक चॅढी आँखों से!!
और घर में जाके बनते हैं,
बच्चों के आगे शरीफ इंसान!!
बस दाँत ही बाहर नहीं आते,
उनकी हवस की गनीमत है!!
वरना आँखों के रास्ते ही ,
वे पेबस्त होना चाहते हैं!!

काश कोई छड़ी होती ऐसी,
मैं इन्हें बना पाती औरत!!
तब पता लगता आदमी को,
कैसे चलती है औरत अब,
सिकोडकर इस दुनिया में!!
मगर ये शिकारी कुत्ते हैं,
गर्म गोश्त ही खाते हैं!!
नहीं मिलता,तब ये कुत्ते
घर में भी बाज नहीं आते!!
आख़िर औरत कब तक ,
बचाएगी अपना अस्तिवऔर घर!! j

Wednesday, August 8, 2012

गुटखा

देखो जिधर भी दीवारों पर 
चित्र गंदे थूक के उभरे हैं 
गुटकापान खाने वालों ने 
अपने मुँह से सृजा हैं 

खुद बर्बाद किया तन को
अवसाद को खुद न्योता है 
अपनी कब्र का सामान 
अपने हाथों ही ब्योंता है 

केंसर का जनक है गुटखा
यह खाता रोज जवानी
भला हो बेचने वाले का
जो मौत बेचे जाता है

धीमा एक जहर है ये
जवानी को ये खाता है
जवानी गर्त में जाती है
वह तो माल बनाता है

लोग समझते नहीं है क्यूँ
खुद ही मौत बुलाते हैं
अपने हाथों खुद मानव क्यूँ
मौत के मुँह में जाता है

खाओ कसम न लोगे तुम
कोई भी तम्बाकू उत्पाद
नहीं करोगे जीवन से तुम
अपने कोई घातक उत्पात

जहर को न कहना सीखो
जिओ अपनी उम्र तुम पूरी
शतक लगाओ जीवन का
जियो बनकर फूल महकता jyoti dang

Saturday, August 4, 2012

आज फिर देखो नारी उदास है !!

आज फिर देखो नारी उदास है !!
उसकी कोख में सभ्यता का बीज है!!
ये न समझो केवल भोग्या चीज है !!
नारी न होगी तो नर भी न होंगे !!
बिना नारी संत पैगम्बर न होंगे !!
फिर क्यूँ नारी पे बात भारी है !!
नारी को मारने क्यूँ तुमने ठानी है!!
नारी नहीं एक, जीवन है नारी !!
है सबसे ये हमको सौगात प्यारी!!
कहीं प्रेमिका है, कहीं बेटी प्यारी !!
कहीं माँ का आदर, कहीं बहना हमारी !!
नारी से जिन्दा हैं नस्लें सब हमारी!! 

Wednesday, August 1, 2012

राखी का दिन

भैया राखी का दिन आया
ये खुशियाँ बहुत सी है लाया
लाया कुछ हंसी फिर से 
कुछ के लिए गम लाया!!
आज कुछ आँखें नम हैं 
दिल में छिपाए कितने गम हैं !!
बहने रोती राखी बाँधने को
भाई तरसते हैं बंधवाने को!!
आज फिर रिश्ते याद आये हैं 
राखी के पावन दिन हमको !!

राखी दिवस तोला पैसों से
राखी तो है प्रेम का बंधन ,
पैसों से नहीं जुड़ते रिश्ते 
राखी धागों का सच्चा बंधन 
कच्चे धागों के पक्के रिश्ते
मन से मन को बांधें रिश्ते 
टूट रहे क्यों निज बातों से ,
बिखरे बिखरे से ये रिश्ते 
भैया समय की मांग यही है 
भाई बहिन का प्यार न बिसरे 
भैया राखी का दिन आया
ये खुशियाँ बहुत सी है लाया