Thursday, March 15, 2012

साँस दर साँस हुई मेरी नीलामी

कशमकश मे फँसी मछली सी 
ये तन्हा जिंदगी मिली मुझको!! 

खाती रही धोखे ही ता उमरा 
कोई न समझ पाया मुझको !!

न अपना सकी ज़माने को 
न ज़माने ने अपनाया मुझको !!

यहाँ कोई शख्स मेरा न हुआ 
न बनाया किसी ने अपना मुझको !!

त्याग,करुणा,प्रेम बस लफ्ज़ रहे
कोई इंसान न माना मुझको !!

सब मेरी जिंदगी के सदगुण
बन दुश्मन सताते रहे मुझको!!

प्यार रहा जैसे कारोबार कोई
सब ऐसे नचाते रहे मुझको !!

साँस दर साँस हुई मेरी नीलामी
कौन करता है प्यार मुझको !!

बड़ी हैरान हूँ "ज्योति" अब मैं
ये सिला प्रेम का मिला मुझको!!
 

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

    कृपया मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" पर पधारें, मेरे प्रयास पर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें .

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  2. बड़ा ख़ुफ़िया सा ब्लाग हे जी. ब्लाग और ब्लापोस्ट लगाने वाले दोनों का ही नाम एक !!! हो सकता है लेबल में कोई रहस्य छुपा हो...

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  3. सुंदर प्रयास ज्योति जी !

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  4. यह दुनिया ऐसी ही है सुंदर प्रयास...सार्थक रचना बधाई

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  5. बहुत ही उम्दा रचना है ,आप की प्रोफाइल पढ़ी बहुत बढिया लिखा आप ने बधाई,शायद मैं पहली बार आप के ब्लॉग तक आए हूँ,ख़ुशी हुई आकर ,आप भी सादर आमंत्रित है मेरे ब्लॉग पर

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  6. आप के ब्लॉग की १०० वी सदस्य बन कर मुझे ख़ुशी हुई ,आप को भी मुबारक हो,.....कमेन्ट देते हुए वर्ड वेरिफिकेशन से दिक्कत होती है उसे हटा दें तो सब को सुविधा हो जाए

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  7. aap sabhi ka bahut bahut dhanyawaad saath me mujhe khushi hui ke mere blog ke 100 followers ho gai sabhi ko mera ek baar fir se dhanyawaad

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  8. बहुत ही सुन्दर में आपके ब्लॉग पे पहली बार आया हु
    लेकिन आगे आता रहूँगा
    मेरे ब्लॉग पे भी आप आएंगे तो हमें अच्छा लगेगा
    http://vangaydinesh.blogspot.in/

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