Wednesday, December 21, 2011

छिटकी धुप

आसमाँ के पथ से
चल के
सितारों की छाँव में
सतरंगी झूले में
झूल के
बादलों के रथ पे
हो सवार
उतर धरती पे
एक नन्ही किरन
आई
छिटकी धुप
अलसाई सी रात
गई
अंगड़ाई लेती
भौर हुई
नन्ही किरन से
रौशन दुनिया हुई

Monday, December 19, 2011

बलात्कार

घुटी - घुटी सी सिसकियाँ 
दर्द से बेहाल बदन 
छोटी सी वो बच्ची 
एक हैवान की
हैवानियत का शिकार
हुई
पीड़ा से बिलबिलाती
हुई
मानसिक अघात
सहती
एक नन्ही कली
रौंद दी गई
एक बगिया का
फूल बनने से
पहले ही
मुरझा गई
क्या मिला उस
हैवान को ?
एक मासूम बच्चपन
को मिटाके ???????

Friday, December 9, 2011

काश फिर से वो पल लौट आते

ढलक आये आंसुओं को
मत पोंछ
न रोक आज इनको
बहने दे
ना देख आज मेरा दर्द
छलक जाने दे
फिर याद आ गया
एक मुस्कुराता चेहरा
मेरी बंद पलकों में
जो था ठहरा
वो एक मुस्कुराता
उसका हसीं चेहरा
ना जाये अब झेला
उसका वो प्यारा सा
मुस्कुराता हुआ चेहरा
दिल फिर कह रहा
मेरे पास वो आ जाये
सिमट जायूं उसकी
आगोश में
वो बीते हर पल
लौट आयें
जो बिताये
थे उनके साथ
काश फिर से वो पल
लौट आते 

Tuesday, December 6, 2011

सरे-मज़हर हमें नीलम कर बैठे

चले थे गैरों की
बस्ती में
घर बसाने
किसी गैर को
अपना बनाने
नीलाम हो गए
सरे-मज़हर
बात पहुँची
दूर तलक
एक मुद्दत हुई
छुपाये इस राज़
को
आज रुसवा हो
गए
उनके दिल से दूर
हो गए
न जाने क्या बात
हुई
उजली सुबह मेरे
लिए
आज काली स्याह
रात हुई
हसीं पलों को
क्यूँ वो
यूं ही भुला बैठे
अब हम को
भूली बिसरी याद
बना बैठे
ऐसी क्या खता
हम कर बैठे
वो जो सरे-मज़हर
हमें नीलम कर बैठे 

Monday, December 5, 2011

बताए कोई मुझे,उसको कैसे बिसार दूँ ,जिंदगी से कैसे निकाल दूँ


जखमी हाथ हुए,
ग़लती अपनी थी
मिटाना चाहा मैने
हाथ की लकीर को
किसी को पाने की
चाहत में
हो ना सका कभी
वो मेरा
तड़प जो रही
मेरे दिल में
उसके लिए
चाहत जो मेरी
उसको पाने की
उस पे
जिंदगी लुटाने की
आती जाती हर
साँस में
बसा जो उसका
है नाम
दिल का हर हिस्सा
है उसके नाम
रोम रोम में
बस चुका वो
हर धड़कन बन
चुका वो
बताए कोई मुझे
समझाए कोई मुझे
उसको कैसे
बिसार दूँ
जिंदगी से कैसे
निकाल दूँ

Saturday, December 3, 2011

किया है मैंने ये गुनाह

अधूरी हूँ आज भी
पा के तुम्हारे
संपूर्ण प्यार को
क्यूंकि 
डरते हो आज भी 
तुम
मुझे अपनाने को
सम्पूर्ण रूप से
क्यूंकि
नहीं कर पाए हो
विश्वास मुझ पे
तुम
कमी कुछ मुझ में
रही होगी
कैसे और कब तुम्हे
अहसास होगा
मेरे असीम प्रेम का
तुम
करते हो प्यार मुझे
मोह नहीं
करती हूँ प्यार मैं भी
किन्तु
मोह के साथ
शायद
यही कमी है मेरी
मोह करना क्या
है गुनाह
तो हाँ
किया है मैंने
ये गुनाह
क्या सजा होगी
इसकी
नहीं जानती