Saturday, October 29, 2011

meri nenos

घुटी घुटी सिसकियों में
चंद साँसें अभी बाकी हैं
दबी कुचली जिन्दगी में
चंद लम्हे अभी बाकी हैं
टूट के बिखरे सपनों में
अभी भी जान बाकी है
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भागमभाग में व्यस्त इंसां
बचा नहीं किसी में अब इमाँ
अपनों से मिलता दर्द यहाँ
कटुता भरा हुआ जाता
पारिवारिक रिश्ता नाता
ये कैसा खेल तेरा ऐ विधाता
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जो करना है सो आज कर डालो
वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता
रुकना नहीं कभी हार के जिन्दगी में
जो बीत गया वो वापस हुआ नहीं करता
प्यार करो आत्मा से, दिलो जान से
बेवफा कभी सच्चा प्यार नहीं करता
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Wednesday, October 26, 2011

हम दो जिस्म एक जान हैं


तुम बनके सूरज
आए हो इस अंधेरी
जिंदगी में
एक उजाला लाये हो
ऐसा
जिंदगी रौशन हुई
गमों के अंधेरों से
मुक्त हुआ ये जीवन
टूटे सभी वो भ्रम
जो समझी थी
जिंदगी का सच्च
प्यार भरी वो
तुम्हारी एक नज़र
छेड़ देती
दिल की उस वीना
के सभी तार
फिर बजने लगता है
वो मधुर प्यार भरा
संगीत
तुम्हारी हर बात को
आत्मसात करती हूँ
अब इस जिंदगी में
सुबह की घास पे
पड़ी औंस की वो
बूँदें
चमकती हैं मोतियों जैसी
मेरी आँखें दमक उठती
जब एक बार तुझे
निहार लेती
गम जब आँसू बन
छलकते हैं
तुम्हारे हाथ बिन कुछ
कहे
अपने आप मेरे चेहरे को
सपर्श करते हुए
उनको पोंछते हैं
ये अहसास करवा जाते
कि मत रो
मैं हूँ ना तुम्हारे आसपास
तब जान पाती हूँ
तुम हो ना मेरे आसपास
नहीं तुम तो मेरे भीतर हो
मेरे रोम रोम में
मेरे हर अहसास में
मेरी हर बात में
तुम अलग कहाँ हो
हम दो जिस्म
एक जान हैं
jyoti dang
 ·  ·  · 6 hours ago

Monday, October 17, 2011

इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए !!

प्यार है तो यार पे ऐतबार होना चाहिए !
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए !!

हम को जो कुछ भी मिला अपने मुकद्दर से मिला !
अपनी किस्मत पे हमें ऐतबार होना चाहिए !!

जिस तरहां हम को मुहब्बत दे रहा है वो खुदा !
हम को भी इन्सानिअत से प्यार होना चाहिए!!

जिस तरह मेरे ज़ेहन में और कोई भी नहीं !
दिल में उस के भी मेरा ही प्यार होना चाहिए!!

खिलखिलाए मुस्कुराए खुश रहे हर इक जहां !
ऐसा सुन्दर भी कोई संसार होना चाहिए !!

बहुत पीछे ले गया है " ज्योति " मेरे देश को !
अब तो भृष्टाचार से इनकार होना चाहिए!!

Friday, October 7, 2011

वो आ के भी आ नहीं पाया

प्यार करके जता नहीं पाया
वो आ के भी आ नहीं पाया

बीते लम्हे, वो प्यार की बातें
वो भुलाके भुला नहीं पाया

लिख के रखे थे प्यार के नगमे
चाह के भी वो गा नहीं पाया

बरसों भटका वो जीत की खातिर
जीत के भी हरा नहीं पाया

कसमें खाई थीं खूब मिलने की
पर वो वादा निभा नहीं पाया

लेके जीता रहा हजारों गम
गम उसे पर हिला नहीं पाया

शम्मा बन के जला मगर 'ज्योति'
मुझ को फिर भी जला नहीं पाया

Wednesday, October 5, 2011

नया लोकतंत्र लाना होगा


रौशन होगा सारा जहाँ
दीये प्यार के जलेंगे जब
नफरतों के मकाँ गिरेंगे
खुशियाँ होंगी चहुँ ओर तब

... तन, मन , धन करेंगे
अर्पित , मानवता को
कुछ पल सुख के देंगे
दीन हीन दुखियों को

उस मासूम बचपन को
खिलखिलाने ,मुस्कराने दो
जो सिसक रहा भीख मांगते
घर होटलों में झूठन मांजते

ढँक दो कुछ कपड़ों से
फुटपाथ पे पड़े - पड़े
सड़ रहे असहाय लाचार
ठिठुरते उस खुले बदन को

दुर्व्यसनो में पड़ कर
खो चुकी उस जिन्दगी को
वापस लाना होगा ,अपने
देश की उस जवानी को

धूमिल हो चुके देश के
वर्तमान को, देनी होगी
सूर्ये की नई रौशनी
जगमगाते भविष्य के लिए

भृष्टाचार की गहरी खाई
में गिर चुके देश को
अब तो बचाना होगा
नया लोकतंत्र लाना होगा