Saturday, March 19, 2011

"इन्टरनेट का दुप्रयोग"




आज के युग में इन्टरनेट  का प्रयोग बेहद आवश्यक होगया है . आज लाखों लोग इन्टरनेट से जुड़े हैं।
इन्टरनेट का प्रयोग बच्चे बड़े सभी करते हैं .इससे पूरी दुनिया एक ही दायरे में सिमट गई है.
इन्टरनेट  के द्वारा घर बैठे हम संसार के किसी भी छोर में बैठे किसी भी व्यक्ति से बात कर
कर सकते हैं . इन्टरनेट  के द्वारा आज लाखों करोड़ों का व्यापार भी होता है .बहुत से लोगों
की रोज़ी रोटी इन्टरनेट  के द्वारा चलती है .इसका प्रयोग लोग अपने मनोरंजन के लिए भी
करते हैं .आज इन्टरनेट  के द्वारा विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण भी करते हैं बहुत से शिक्षण संस्थान
इससे जुड़े हैं.आज हर क्षेत्र ,वो चाहे मीडिया हो, रेलवे हो ,सरकारी कार्यालय निजी
कार्यालय सभी इससे जुड़े हैं.आज इन्टरनेट  का प्रयोग लोग अपने स्वार्थ हेतु भी करने लगे
हैं.बहुत से आतंकवादी संगठन इसका दुरूपयोग अपने गलत मकसद के लिए कर रहे हैं .
इस का दुरूपयोग एक और ख़ास मक़सद के लिए भी हो रहा है .वो है इस की इन्टरनेट  पे लोग अपना अकाउंट बनाते हैं जैसे ऑरकुट और फेस बुक पे .और उस में यह लोग बड़े बड़े नामी-गिरामी लोग के साथ ट्रिक सिस्टम से खिचवाई तस्वीरें लगाते है.जैसे टी वी और फिल्म जगत से जुडी हस्तिओं के साथ खिंचवाई गई तस्वीरें .इसके ज़रिये वो भोलीभाली लड़कियों,औरतों को भरमातेहैं.ये जतलाते हैं कि उनका इन बड़े बड़े लोगों के साथ उठाना बैठना है और कुछ लडकियाँ,औरतें इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाती हैं और इनकी हर बात पे विश्वास करने लगती हैं यहाँ तक कि उनकी फ़ोन पर भी बातचीत होने लगती है और ये लोग उनको अपनी बातों में फंसा के अपने मकसद के  लिए इस्तेमाल करते हैं .ये लोग बाहर से कुछ और अन्दर से कुछ और होते हैं .ये ज्यादातर दलाल होते हैं। इन बड़े-बड़े लोगों को लडकियाँ मुहैया करवाने वाले।

आज इन्टरनेट के जरिये देह व्यापार जोरों से चल रहा है छोटे छोटे कस्बों से ले कर बड़े बड़े शहरों तक. इन में से बहुत से लोग खुद का समाचार पत्र भी निकालते हैं और ये ऐसी लड़किओं,औरतों की तलाश में रहते हैं जो अपने शौंक के लिए लिखती हैं. उन से संपर्क साधते हैं उनकी इतनी तारीफ करेंगे ,समय आने पर उनकी लिखी कवितायेँ, कहानियाँ अपने पेपर में भी छपवाते हैं .ऐसे वो इनका विश्वास जीत लेते हैं.समय आने पर ये अपने गलत मक़सद के लिए इन लड़किओं-औरतों का इस्तेमाल करते हैं .बहुत सी इनके बुने जाल में फंस भी जाती हैं .और वो इनके विरुद कुछ कर भी नहीं सकती क्यूंकि वो ऐसी दलदल में फंस चुकी होती हैं जिससे बाहर निकलना नामुमकिन होता है और इन नकाबपोश लोगों के पास ऐसे सबूत मौजूद होते हैं जिस के जरिये इन भोलीभाली लड़किओं,औरतों का इस्तेमात ताजिंदगी करते हैं हमारी सरकार को चाहिए कि वो ऐसे कड़े साइबर कानून बनाये जिसके जरिये ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके और हम औरतों को भी सावधान रहना चाहिए . कभी भी ,बिना अच्छे से जाने इन लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए न ही सभी पे विश्वास करके अपना फ़ोन नंबर देना चाहिए यदि ऐसी कोई बात हो तो हमें घर में बात करनी चाहिए और कानून का सहारा लेना चाहिए

Friday, March 18, 2011

हिंदी मेरी राष्ट्रभाषा

हिंदी
मेरी जान है
यह हमारी
राष्ट्र भाषा
मेरे देश की शान है
रहते हो कहीं भी
हमारी
यही पहचान है
है देश की
प्राणमयी भाषा 
यही
हमारी आन है
अग्रसर है
विश्वभाषा बनने को
यही हमारा
मान है
वाहक ये संस्कृत की
दर्पण ये साहित्य समाज की
यही हमारा अभिमान है
तन-मन प्राणों से प्यारी
हम सबका सम्मान है।

Monday, March 14, 2011

मनुष्य आज इतना भौतिकवादी क्यों?



जीवों में मनुष्य ही ऐसा है जिसको परमात्मा ने दिमाग दिया है . जिसकी वजह से वो दूसरे जीवों से अलग है अच्छे बुरे का भेद ,रिश्तों की गर्माहट ,पवित्रता ,समाज को बनाना-बिगाड़ना सभी इसी दिमाग की वजह से है .आज हमारा समाज इतनी प्रगति कर रहा है कि हर इंसान में आगे निकलने की होड़ सी लगी हुई है .इसी आगे निकलने की होड़ के कारण इंसान अपने स्वार्थ में इतना अन्धा हो चुका है .उसको सब रिश्ते बेमानी से लगने लगे हैं,.पैसा ही आज भगवान् हो गया है।

आज वो पहले जैसा प्यार ,रिश्तों की गर्माहट .दूसरों का दुःख खुद का दुःख लगना,दूसरों की खुशिओं में खुश होना सब कहीं खो से गए हैं .आज जिसके पास पैसा है ,वो दूसरों को आपने पाँव की धूल समझता है,.पैसे के आगे इंसानियत मूल्य गौण हो गए हैं .यदि पैसा हो जिसके पास उसको लोग सर पे बिठाते हैं उस इंसान के सैंकड़ों दोस्त होंगे , जिसके पास पैसा ना हो उसको लोग टके के भाव भी नही पूछते।

आज सच्चा प्यार भी पैसा ही है .वो भावनाएं जज्बात सब लुप्त हो गए हैं .जिस व्यक्ति की जेब नोटों से भरी हो . एक बढ़िया सी गाडी हो ,आलिशान घर हो , बैंक बैलेंस हो , समझो प्यार उसी का है और पूरी दुनिया उसके क़दमों में होती है आज इंसान पैसे का इतना मुरीद हो गया है बहन भाई ,बेटे दोस्त तभी पूछेंगे आप कैसे हैं ?
जब आपकी जेब में पैसे होंगे ।
आज मनुष्य इतना ह्रदयविहीन वा भावनाए रहित कि पैसा ही उसके लिए भगवान् और पैसे से ही सभी रिश्ते जुड़े हैं इंसान आज इतना भौतिकवादी क्यों होगया है उसको अपने स्वार्थ के आगे कुछ नज़र ही नहीं आता क्या पैसा रिश्तों से , प्यार से ज्यादा बड़ा है .माना पैसे कि बिना जिन्दगी नहीं काटी जा सकती ,किन्तु पैसा सब कुछ तो नहीं. पैसे को हम रिश्तों के बीच क्यों लाते हैं .पैसे को हम अच्छे कार्य में लगायें ना कि रिश्तों को ठुकरा कर पैसा बनाए।

Saturday, March 12, 2011

आईना

मैंने देखा है तुझे आईने में अक्सर
भोला सा चेहरा आईने में अक्सर

जाना सा पहचाना सा है दीवाना सा
निहारा करता तू आईने में अक्सर

नज़र से नजर मिलाता घूँघट उठाता
हया में मुस्कराता आईने में अक्सर

रात की तीरगी में यादों के झरोखों से
कैसे आंसू बहाता आईने में अक्सर

आईने में मयस्सर हैं सैकड़ों दिल यहाँ
कैसे टूटता है आइना आईने में अक्सर

खामोश तुम भी हो "ज्योति" भी अक्सर
तस्वीर बदलती रही आईने में अक्सर

Thursday, March 10, 2011

सन्देश

मैं ज्योति-बिंदु
स्वरूप आत्मा
देती ये सन्देश
त्याग काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार
आलस्य संकीर्ण सोच,
ईर्ष्या और द्वेष
जो मनुष्य है नही तजता
वो खोता है अपना जीवन
और खोता
अपना विवेक
अगर चाहते हो
प्रशन्न शान्ति
सुख जीवन
तो करना होगा
अवसाद विलुप्त
प्रभु के चरणों में जाकर
अनोखे ओज का
स्वनिमार्ण करो नित-नित तुम
लाओ जीवन यापन में
निज स्वाधीनता, धैर्य,
सहनशीलता, मैत्री की शाला
क्षमा भाव को रख मन में नित नित
तब तुम क्षीण करो
पापों की माला
तब तुम अपने जीवन को
पुष्पित, पल्लवित और सुरभित
कर जाओगे
मानवीय गुणों वा
संकल्प-शक्ति से
एक नया संसार
बनाओगे

Monday, March 7, 2011

महिला दिवस कितना सार्थक



पूरे विश्व में आज का दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जा रहा है आज हमारे देश में भी महिला दिवस , महिला सशत्तिकरण की बातें की जाती हैं उनको सामान अधिकार दिए जाने की चर्चा चहुँ और हो रही है इस दिन पूरे देश में आयोजन किये जाते हैं ,महिला के अधिकारों पर नेता , वक्ता बड़े बड़े भाषण देते हैं .
क्या सही मायने में हम लोग यह दिवस मना पाते है सिर्फ भाषण देने से , बड़ी बड़ी बातें कह देने से महिलाओं को उनके अधिकार पूर्णरूप से मिल जायेंगे ?नहीं

आज भी औरतों को उनके अधिकार नहीं मिल पाये , आज भी पूरे देश में लड़किओं को जन्म से पहले गर्भ में मार दिया जाता है .कई घरों में एक बेटे की चाह में लड़किओं की लाइन लगा दी जाती है आज भी महिला घर से बहार कदम निकालती है , अपनी पहिचान बनाने के लिए . तो उसको कदम कदम पर मुश्किलों से दो चार होना पड़ता है.कई बार तो परिवार वालों की जली कटी बातें सुननी पड़ती हैं .

आज भी पुरषों के समान अधिकार पाना बहुत मुश्किल है आज भी कई धार्मिक स्थान ऐसे हैं यहाँ औरतों का जाना वर्जित है उदहारण सवरूप हनुमान जी को एक महिला छू नहीं सकती क्यूँ ?
पूछो तो उत्तर मिलेगा हनुमान जी ब्रह्मचारी थे .यदि ऐसा है तो विवाहित पुरष क्यूँ उनके चरण सपर्श करते हैं ?सोचिये हनुमान जी परमात्मा का एक रूप हैं उनको छूना , उनके चरण सपर्श करना परमात्मा का आशीर्वाद लेने के समान है तो इस में कोई महिला न छूए , ये कहाँ का इन्साफ है

भारत में आज भी कई गाँव ऐसे हैं यहाँ औरतों को डायन मानकर पत्थर मारे जाते हैं उनको नंगा करके घुमाया जाता है कई बार इतने जुल्म किये जाते हैं कि उनकी मौत हो जाती है ऐसी दुर्घटनाएं आये दिन देखने सुनने को मिल जाती हैं .आज भी हमारे गाँवों में बाल विवाह प्रथा जस की तस मौजूद है .

जिस देश में नारी को देवी मानके पूजा जाता है वहीँ ऐसी शर्मनाक कुरीतिया ,प्रथाएं मौजूद हैं एक दिन महिला दिवस के नाम पे मनाने से ,बड़े बड़े भाषण देने से औरतों को उनके अधिकार नहीं मिल जायेंगे . इसकी शुरुआत हमें अपने घर से, आसपास से करनी होगी हम औरतों को दया की नहीं अपितु जो हमारा स्थान है और हमारे अधिकार हैं , जिसकी हम हक़दार हैं वो चाहिए तभी सही मायने में महिला दिवस सार्थक बन पायेगा .
jyoti dang

देश के बारे में जनता के बारे में

विश्व बैंक की' ग्लोबल डेवेलोपमेंट फाइनांस'२०१० की रिपोर्ट के आंकड़ों के आधार पर भारत विश्व का ५वां सबसे बड़ा कर्ज़दार देश है इस वक़्त भारत का क़र्ज़ १३,३२,१९५ करोड़ रुपये है इस क़र्ज़ के ज़िम्मेदार वो लोग हैं जो राजनीतिमें सिर्फ इस लिए आयें की अपनी आने वाली पुश्तों के लिए पैसा जोड़ सकें और यही नेता लोग, जितनी भी जनता की भलाई के लिए योजनायें बनती हैं,उसके लिए जितना भी कर्ज बाहरी देशों से लिया जाता है या केंद्रीय सरकार राज्ये सरकारों को देती है .तो ये नेता लोग आधा पैसा तो खुद ही डकार जाते हैं और ये काला धन स्विस बैंकों के खाते में जमा करवा देते हैं 

आज बढती मंहगाई के कारण लोगों को गुज़ारा करना मुश्किल हो गया है और ये नेता लोग इस काले धन का प्रयोग अपने बच्चों की शाही ठाठ शादी करने में करते हैं पिछले दिनों दक्षिण दिल्ली के निकट जौनपुर में हरियाणा के पूर्व विधायक सुखबीर सिंह जौनपुरिया की बेटी योगिता और दिल्ली के कांग्रसी नेता कंवर सिंह तंवर के बेटे ललित तंवर का विवाह संपन्न हुआ

इस विवाह पे २५० करोड़ रूपए खर्च हुए.विचारणीय पहलु ये है कि इन महाशय के पास इतना धन कहाँ से आया एक शादी पे २५० करोड़ खर्च कर दिया तो और कितना कला धन इस नेता ने जमा कर रखा है और कहाँ ? इतना धन आया कैसे ?

एक तरफ मेनका गांधी हैं जिन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी कि शादी बहुत ही सादा ढंग से की है

दूसरी तरफ मुंबई में मुकेश अम्बानी का विश्व का सबसे मंहगा घर जिसकी कीमत विश्व बाज़ार में US $2.0 Billion है

देश करोड़ो रूपए के क़र्ज़ में डूबा है और इन जैसे अमीर लोगों के ठाठ बात देखते बनते हैं यदि यही पैसा देश की प्रगति के लिए खर्च किया जाये लोगों की भलाई के लिए और स्विस बैंक में जो कला धन जमा है उसको देश में वापस लाया जाये तो देश का ये कर्ज बहुत हद तक कम हो सकता है

किन्तु देश के बारे में वहां की जनता के बारे में कौन सोचे इन जैसे अमीर लोगों नेताओं को तो सिर्फ अपने ठाठ बाठ से मतलब देश चाहे भाड़ में जाये जनता चाहे भूखों मरे उनके बारे में कौन सोचे इतनी फुर्सत किसके पास आज की इस स्वार्थी दुनिया में

Saturday, March 5, 2011

समर्पण


समर्पण तुम करो
मैं तुम्हे शांति
दूंगा
एक असीम शांति
अन्ताकरण में फैली
द्वेष अंहकार की
भावना
फेंक निकालो
अपनी 
आत्मा को
पूर्णरूपेण शुद्ध करो
आओ हम सब
मिल अपना सर्वस्व
उस परमपिता
प्रभु को
समर्पित करें
और जीवन में
असीम आनंद की
अनुभूति करें


हाले दिल


कभी अपना कभी दिल का हाल सुना जाते है
गमजदा होकर वो हाले दिल मुस्करा जाते हैं

कभी तडपाते हैं वो दीद-ए-तीर,दिले मुज़तर
कभी मेरी गजलों में तरन्नुम सुना जाते हैं

कभी देखते चाँद की अठखेलियाँ छत पे वो 
कभी लुत्फ़ सजदों से मुझको बुला जाते हैं

कभी देखते हैं फलक के तारे टूटते बुझते हुए
कभी सीनें में सिर रख धडकनें सुना जाते हैं

कोई और विकल्प रहता ही नहीं शेष "ज्योति" 
जब वस्ल में हिज़्र की तड़प वो बढा जाते 

Wednesday, March 2, 2011

शहर का मुसाफिर


न हुआ इल्म मुझे कोई दिल में समा गया
दिल-ए-जान बन मेरी निगाहों में आ गया

पूछते रहे उनके दिल का पता गली-गली
वो अजनबी शहर का मुसाफिर बता गया

यहीं तरीका था दिल में नफरत बढाने का
क़त्ल करके वो अपना दामन बचा गया

मुस्करा कर वो मिलता रहा रकीबों से
हमसुखन बन रग में नश्तर चुभा गया

देखते-देखते आ गया वक्ते-रुखसत "ज्योति"
आँख में आंसू भर रात दिन तडपा गया