Saturday, February 26, 2011

पाकीजगी


रकीबों से हर शख्स जुदा मिलता है
ग़रीबों से हर वक़्त खुदा मिलता है

गमगुसार हैं जो गमगलत करते हैं
मयकदों में उनको भी खुदा मिलता है

आँख नम है दर्दे-गम जो ठहरा है 
दीदारे-यार भी अंदाज़े-जुदा मिलता है

बदनामी रह गयी साथ में मेरे ए दिल
इश्क की राहों में ऐसा खुदा मिलता है 

देख कर उनको  ज्योति खुशगवार हो कैसे
अपनी पाकीजगी से जो जुदा मिलता है

Tuesday, February 22, 2011

मेरी वफाओं पे इलज़ाम यूँ न लगाइए

अपनी नज़र से मुझको यूँ न गिराइए
ज़ुल्मों की राह पे मुझको यूँ न चलाइये

कहने को जो नाम दिया तुने ही मुझको
मेरी वफाओं पे इलज़ाम यूँ न लगाइए

फलक से अब्र बरसते है बेमौसम कभी कभी
सावन की प्यास को आप फिर यूँ न बढ़ाइए

रातों की नींद खोयी है खोया है दिन का चैन
आँखों में ठहरे ख्वाब को फिर यूँ न दिखाइये

मेरी तो मंजिल आप है पाना तुझे ए दिल
हाथो की चंद लकीरों को फिर यूँ न मिटाइये

तुमको सुकून न हो मय्यसर कभी "ज्योति'
ग़रीबों का दिल आप फिर यूँ न दुखाइये 

Monday, February 21, 2011

कश्तियाँ

कागज़ की कश्तियो पे सबकी निगाह होती है !
खुद नदी भी कभी इन के लिए कत्लगाह होती है !

रंग हर रोज़ ही दिखता है सिआसत का नया !
सुर्ख होती है कभी और कभी तो ये स्याह होती है !!

पूछलो गैर से भी हाले दिल ज़रा इक दिन !
जीस्त उस की भी तो अपनी ही तराह होती है !!

आ के मंजिल पे ख़तम होती है भटकन सारी !
साथ अपनों का मिले बस येही चाह होती है !!

हाँ अदावत तो गुनाह है ये हकीकत है मगर !
अब तो उल्फत भी मेरे दोस्त गुनाह होती है !!

क्या गिला राह्जनों से करें हम "ज्योति" !
कभी रहबरी राहजनी से भी स्याह होती है !!


Sunday, February 20, 2011

बाल विवाह या बचपन से खिलवाड़




भारतीय गांवों में आज भी बाल विवाह किये जाते है . कानून भी बने हुए हैं किन्तु यह कुप्रथा आज भी हमारे समाज में 'जस की तस ' चली आ रही है . क्यूँ माँ , बाप अपने बगीचे की नन्ही कलियों  के साथ ये खिलवाड़ करते हैं . उनको क्या मिलता होगा यह सब करके . कभी सोचा कि छोटे छोटे बच्चों को शादी के बंधन में  बाँध देते है  . उनको मालूम भी होगा शादी क्या होती है शादी कि मायने क्या हैं ?,उनका शरीर शादी  के लिए तैयार भी है ?वो नन्ही सी आयु शादी के बोझ  को झेल पायेगी?
वो मासूम बचपन , जिसमें छोटे छोटे फूल खिलते हैं ,मुस्कुराते हैं, नाचते हैं ,गाते हैं  ऐसे लगते हैं मानो  धरती का स्वर्ग यही हो, खुदा खुद इन में सिमट गया हो  कहते हैं बचपन निछ्चल , गंगा सा पवित्र  होता है तो क्यूँ ये माँ बाप ऐसे स्वर्ग को नरक कि खाई में धकेल देते हैं उनकी बाल अवस्था में शादी करके  'सोचो '
 जब फुलवाड़ी में माली पौधे लगता है उनको पानी खाद देता है सींचता है वो जब बड़े होते हैं उनपे नन्ही नन्ही कलियाँ आती हैं कितनी अच्छी जब वही कलिया खिलके फूल बनती हैं तो पूरी फुलवाड़ी उनसे महक उठती है  यदि वही कलियन फूल  खिलने से पहले तोड़ दी जाएँ उनको पावों तले रौंद दिया जाये तो पूरी फुलवाड़ी बेजान हो जाती है ऐसे ही यह छोटे छोटे बच्चे हैं इनके बचपन को खिलने दो  महकने दो    जब ये शादी के मायने समझे इनका शरीर और मन , दिमाग शादी के योग्य हो ,आत्म निर्भर हो ग्रहस्थी का बोझ उठाने योग्य हो तभी इनकी शादी कि जाये

Wednesday, February 16, 2011

जिन्दगी


जिन्दगी तू एक ख्यालात है जिन्दगी
ढले उम्र तो एक सवालात है जिन्दगी

पल खुशियों का हो या गम का मगर
बनाती अज़ाब के हालात है जिन्दगी

सितमगरों के नगर में जो ज़िंदा है
चंद क़दमों के निशानात है जिन्दगी

कभी शबे- बारात कभी शम्मे-रात बन
धूप-छावं की बरसात है जिन्दगी

जिसकी ताबीर होना मुश्किल यहाँ
जहां की आख़िरी बात है जिन्दगी

लम्हे गुज़ारे जब "ज्योति" तेरी कुर्बत में
कठपुतली सी करामात है जिन्दगी

Tuesday, February 8, 2011

बद्दुआओ में कैसे दुआ


 



मेरी रकाबत का सिला दिए जा रहे तुम
बद्दुआओ में कैसे दुआ दिए जा रहे तुम

समझोगे किस तरह मेरे दिल का दर्द
खाली दामन में अश्रु पिए जा रहे तुम

जिसने ज़मीर बेचा है दौलत के वास्ते
उन रकीबों की बस्ती में चले जा रहे तुम

नींद आती नही तीरगी मिटती नही
कैसे गुर्बत में बोझिल हुए जा रहे तुम

दे ना सके कोई लम्हा सुकूँ का कभी
विष हाथों से अपने पीए जा रहे तुम

चंद कतरे साकीं के होठों में सजाकर
कैफे-दौलत में अकसर जिए जा रहे तुम

नाकामियों के साए "ज्योति" जी लेती
छल फरेबों से मंजिलें छुए जा रहे तुम

Tuesday, February 1, 2011

प्याज



प्याज काटो
तो रुलाता है
बड़े बड़ों को
आँखें दिखाता है
दुलहन कैसी
भी हो चलेगी
प्याज बिन
अब ना ये जिन्दगी निभेगी
प्रेमी बोलें,
जानेबहार !
अब मुझे कुछ भाता नही है
प्याज के सिवा
अब कुछ रास आता नही
अब तो तेरे भाव भी
जमीन पे नही पाए जाते है
आँखों के
आंसू भी
तेरी याद में छलकाए नही जाते
अब लड़की
हर लड़के से
यही बोले
प्यार उसी से
जो उसे प्याज के तोहफे में तोले
पत्नी के
मुख में अब ना रही है
लगाम
अब पति देव
तुझे नही प्याज को है
"सलाम"
अब वही दोस्त है
अपना
जो दिखाए
प्याज का देने का
सपना
अब नेताओं के भाषण में प्याज नज़र आने लगा है
चुनाव चिन्ह प्याज होने का जुगत नेता लगाने लगा है


"हे प्याज देवता" तू तो राजाओं की तरह सज रहा है
तेरे चक्कर में बहुतों का बाजा जोरों से बज रहा है ||