Friday, September 2, 2011

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ



थोड़ी ज़मीं आसमां चाहता हूँ !
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ !!

सीख ली तुम ने मुहं को छिपाने की आदत !
मैं ये काम ना सीखना चाहता हूँ !!

सकूनोअमन थोड़े थोड़े जहां हों !
...छोटा सा ऐसा  मकाँ चाहता हूँ !!

कहूँगा नहीं हाले दिल मैं अकेले !
सरे बज़्म करना बयाँ चाहता हूँ !!

पैसे से मिलता है दुनिया में सब कुछ !
है ये झूठ सब से कहा चाहता हूँ !!

कुदरत ने इतने दिए हैं मुझे गम !
के उन को ही अपना किया चाहता हूँ 

6 comments:

  1. सीख ली तुम ने मुहं को छिपाने की आदत !
    मैं ये काम ना सीखना चाहता हूँ !!

    बेहतरीन।

    सादर

    ReplyDelete
  2. सकूनोअमन थोड़े थोड़े जहां हों !
    ...छोटा सा ऐसा मकाँ चाहता हूँ !!
    sukuno aman thoda thoda kyun...sukun aaur aman hi to jijdagi hai...shandar prastuti..badhayee aaur nimantran ke sath

    ReplyDelete
  3. वाह ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete