Thursday, October 28, 2010

ਸਮਾਜ਼ ਦੇ ਸੇਵਾਦਾਰ ਬਣ ਜਾਓ samaaz de sewadaar ban jao

ਇਹ ਗੰਦੇ ਭੁਖੇ ਲੋਗ
ਕਿਊਂ ਕਰਦੇ ਛੋਟੀਆਂ
ਛੋਟੀਆਂ ਬੱਚੀਆਂ ਦਾ ਭੋਗ
ਛੋਟੀਆਂ ਛੋਟੀਆਂ ਕਲੀਆਂ
ਕਿਸੇ ਵਿਹੜੇ ਖਿਲੀਆਂ
ਹਰ ਘਰ ਜਗਮਗਾਓਂਦਾ
ਇਹਨਾ ਨਾਲ ਰੁਸ਼ਨਓਂਦਾ
ਗੰਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਇਹ ਮਜ਼ਾ
ਮਿਲਦੀ ਕਿਊਂ ਕਲੀਆਂ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾ
ਰੋਜ਼ ਹੁੰਦੇ ਕਿੰਨੇ ਬਲਾਤਕਾਰ
ਕਿਊਂ ਨਹੀਂ ਬੱਚੀਆਂ ਲਈ ਸਤਿਕਾਰ
ਕਦੀ ਵਿਦਿਆ ਮੰਦਿਰ ਵਿਚ
ਕਦੀ ਘਰਾਂ,ਫੈਕਟਰੀਆਂ ਵਿਚ
ਆਓ ਸਾਰੇ ਰਲ ਮਿਲ ਜਾਈਏ
ਇਹਨਾਂ ਹੈਵਾਣਾ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾ ਦਵਾਈਏ
ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਬਣ ਜਾਓ
ਸਮਾਜ਼ ਦੇ ਸੇਵਾਦਾਰ ਬਣ ਜਾਓ


ih gande bhukhe log!
kioon karde chotian,
chotian bachchian da bhog!
chotian chotian kalian!
kise wihde khilian!
har ghar jagmagaonda!
ihna naal rushnaonda!
gande lokan lai ih maza!
mildian kioon kalian noon saza!
roz hunde kine balatkaar!
kioon nahin bachchian lai satkaar!
kadi vidia mabdir wich!
kadi gharan factrian wich!
aao sare ral mil jaie!
ihna haiwaana noon saza dawaie!
pariwaar de pahredaar ban jao!
samaz se sewadaar ban jayo!

Wednesday, October 27, 2010

वो चली गई, क्यूँ इस तरह!

वो चली गई,
क्यूँ इस तरह!!
हाथ बढ़ाया ही,
था झटक दिया,
क्यूँ इस तरह!!
कुछ बातें की,
कुछ मुलाक़ातें की!!
मुझे भूल गई,
क्यूँ इस तरह!!
क्या अब भी,
याद हूँ उसे!!
मैं तो भूला ,
नहीं कभी उसे!!
मैं उसे भूलूँ,
क्यूँ इस तरह!!
उसकी यादों से,
दिल बहलाता हूँ!!
खुशियों को यूँ अब,
गले लगाता हूँ!!
कुछ वादे करके,
वो चली गई,
क्यूँ इस तरह!!
कैसे   भूलूँ,

Tuesday, October 26, 2010

उनकी प्रीत से , मैने खुद को रंगा!!

मेहंदी के रंग से,
औरों ने हाथों को रंगा!!
उनकी प्रीत से ,
मैने खुद को रंगा!!
मैं उनसे झूठी झूठी,
बैठी रही रूठी रूठी!!
वो चुपके से आए!!
कानों में फुसफुसाए!!
तू क्यूँ मुझसे रूठी?
तू तो है मेरी प्राण प्रिय!!
जान मेरी चली जाए!!
जब तू मुझसे दूर हो जाए!!
ऐसा सोचों, दिल घबरा जाए!!
अब तो यह गुस्सा छोड़ो!!
मेरा दिल  ना तोडो !!
उनकी ये मनुहार!!
उनका  ये  प्यार!!
उनके इस प्यार से,
मैने खुद को रंगा!!
मेहंदी के रंग से,
औरों ने हाथों को रंगा!!
उनकी प्रीत से ,
मैने खुद को रंगा!!

Sunday, October 24, 2010

ਮੈਨੂੰ ਮਿਲਿਆ ਇਕ ਸੋਹਣਾ ਵੀਰਾ!! mainoo milya ik sohna veera

ਮੈਨੂੰ ਮਿਲਿਆ ਇਕ ਸੋਹਣਾ ਵੀਰਾ!!
ਦਿਲ ਦਾ ਹੈ ਉਹ ਕੋਹੇਨੂਰ ਹੀਰਾ!!
ਨਾਮ ਉਹਦਾ ਰਵਿੰਦਰ ਜਹਾਂਗੀਰ!!
ਮਿਲ ਗਈ ਉਹਨੂੰ ਆਪਣੀ ਹੀਰ!!
ਵੇਖ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ਵਹਿੰਦਾ ਹੋਇਆ,
ਕਿਸੇ ਦੀਆਂ ਅਖਾਂ ਤੋਂ  ਨੀਰ!!
ਪੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਓਹੋ ਅਧਿਆਪਕ!!
ਸੋਚਣ ਦਾ ਦਾਇਰਾ ਬੜਾ ਵਿਆਪਕ!!
ਕਰ ਰਿਹਾ ਓਹੋ'NET' ਦੀ ਤਿਆਰੀ!!
ਕਰਦਾ ਨਹੀਂ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਹੇਰਾ ਫੇਰੀ!!
ਓਹਦੇ ਸੋਨੇ ਰੰਗੇ  ਵਿਚਾਰ!!
ਦੇਂਦਾ ਹਰ ਕੋਈ ਓਹਨੂੰ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ!!
ਰੱਬਾ ਦੇਈਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਦਾ ਓਹਨੂੰ ਵਰਦਾਨ!!
ਪਾ ਦੇਂਦਾ ਹਰ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ  ਜਾੱਨ!!
ਵੰਡਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਓਹੋ ਮੁਸਕਾਨ!!
ਓਹੋ ਹੈ 'ਪੁੰਗਰਦੇ ਹਰਫਾਂ' ਦੀ ਸ਼ਾਨ


ਇਹ ਕਵਿਤਾ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਛੋਟੇ ਵੀਰੇ 'ਰਵਿੰਦਰ ਜਹਾਂਗੀਰ ' ਨੂੰ ਸਮਰਪਿਤ ਕੀਤੀ ਹੈ.


mainoo milya ik sohna veera
dil da hai oh kohinoor heera
naam uhda ravinder jahangir
mil gai ohnoon apni heer
vikh nahin sakda wahnda hoia
kise dian akhkhan ton neer
peshe ton uho adhiapak
sochan da diyera bara viyaapak
kar riha uho net di tiaari
karda nahin kise naal hera feri
uhde sone range wichaar
denda har koi uhnoon ashirwaad
rabba dein khushian da uhnoon vardaan
paa denda har kavita wich jaan
wandda rahnda uho muskaan
uho hai 'pungrde harfaan ' di shaan

Saturday, October 23, 2010

तेरे सपनो में खो जाऊं!

दिल करता है सो जाऊं!
तेरे सपनो में खो जाऊं!
आज तू मुझे अपना बना ले!
मैं तेरी दुलहन सी हो जाऊं!
आगोश में भर ले मुझे!
तुम मेरे हो जाओ!
मैं तेरी हो जाऊं!
चुन ले तू मुझे!
बिखर गई हूँ मोतियों जैसे!
आज तुम भी बिखर जाओ!!
मेरी जुलफो में समा जाओ!
मेरे माथे की बिंदिया बन जाओ!
माँग में सिंदूर की लालिमा बन जाओ!
होठों का हर रंग  चुरा लो तुम!
मेरी जिंदगी में शामिल हो जाओ तुम!
इस सपने को हक़ीकत बना दो तुम!
तुम मेरे हम सफ़र बन जाओ!
मैं तेरी जीवन संगिनी बन जाऊं

Thursday, October 21, 2010

अपना मान के चलते हैं हम

जिंदगी को हसके जीते हैं हम
हर गम को जिंदगी से जुदा रखते हैं हम
तुम्हारे जैसे दोस्त को दिल मे छिपा के रखते हैं हम
तेरी हर खुशी को अपना बना के रखते हैं हम
चले गये तुम इस जिंदगी को छोड़ के
फिर भी तुम्हारे प्यार को अपना मान के चलते हैं हम

Wednesday, October 20, 2010

ਤੂੰ ਕਿਊਂ ਮੈਨੂੰ ਯਾਦ ਬਣਾ ਦਿਤਾ!! toon kioon mainoon yaad bana dita

ਹਰ ਪਲ ਤੈਨੂੰ ਯਾਦ ਕੀਤਾ!!
ਹਰ ਪਲ ਤੇਰੇ ਨਾਂ ਕੀਤਾ!!
ਫਿਰ ਤੂੰ ਸਾਨੂੰ ਕਿਊਂ ਭੁਲਾ ਦਿਤਾ!!
ਰੂਹ  ਪਿਆਸੀ ਏ!!
ਮਿਲਣ ਨੂੰ ਤਰਸਦੀ ਏ!!
ਤੂੰ ਕਿਊਂ ਮੈਨੂੰ ਯਾਦ ਬਣਾ ਦਿਤਾ!!
ਜਿੰਦਗੀ ਦੇ ਪੈਂਡੇ ਕਟੇਣੇ
ਹੋ ਗਏ ਨੇ ਕਿਨੇ ਔਖੇ!!
ਤੂੰ ਕਿਊਂ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਭਿਤ ਭੇੜ ਦਿਤਾ!!
ਮੇਰੇ ਸਾਰੇ ਚਾਅ ,ਸ੍ਧਰਾ ਸਭ ਅਧੂਰੇ!!
ਤੇਰੇ ਬਿਨਾ ਹੁਣ ਕੋਣ ਕਰੂ ਪੂਰੇ!!
ਤੂੰ ਕਿਊਂ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਦਗਾ ਕੀਤਾ!!
ਤੂੰ ਕਿਊਂ ਮੈਨੂੰ ਯਾਦ ਬਣਾ ਦਿਤਾ!!


har pal tanoon yaad kita!!
har pal tere naan kita!!
fir toon saanoon kioon bhula dita!!
rooh piaasi e!!
milan noon tarsdi e!!
toon kioon mainoon yaad bana dita!!
jindgi de painre katnen,
ho gae ne kine aoukhe!!
toon kioon jindgi da bhit bher dita!!
mere sare chaa, sadhra sabh adhoore!!
tere bina hun kon karoo poore!!
toon kioon mere naal daga kita!!
toon kioon mainoon yaad bana dita!!

Tuesday, October 19, 2010

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे

ताजमहल के संगमरमर जैसा तेरा तन
चाँद की उजली चाँदनी मे नहाया तेरा मन

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे

तू प्यारी बेटी अपनी माँ की
करती उनको खुदा से बढ़कर प्यार

तू है एक अच्छी माँ अपने बच्चों की
देती उनको खूब सारा दुलार

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे

तू है सीधी सच्ची सरल
झरने के जल जैसी निर्मल

तुझे कोई प्यार करे तो क्यूँ ना करे

तेरे जैसी जीवन संगिनी मुझे मिली
मेरी हर खुशी तेरे जीवन से मुझे मिली

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे

तू है मेरा छोटा सा नंद किशोर


तू है मेरा छोटा सा नंद किशोर
सब तुझे कहते माखन चोर
मैं हूँ तेरी यशोदा मईया
तू है बलराम का छोटा भईया
जन्म ना तुझे दे सकी
पलने ना तुझे झूला सकी
दूर रहके भी करता कितना प्यार
कभी बन जाता मेरा राजकुमार
दिल करता तुझे करूँ खूब दुलार
तू है ग़रीबों का मसीहा
तूने सदा सबको प्यार दिया
ज़रा सा भी दर्द मुझे यहाँ हुआ
उसको  महसूस वहाँ   हुआ
दिल से निकले यही दुआ
खुश रहो,  रहो यहाँ



यह कविता मैने अपने उस बेटे को समर्पित की है जिसे मैने जन्म नहीं दिया किंतु उसने सदैव मुझे माँ समझा और एक बेटे जैसा प्यार किया है

Monday, October 18, 2010

हाल-ए-दिल

हम हाल-ए-दिल उन्हें सुनाते रहे
वो रस्मों दुनिया निभाते रहे
वो हमारे प्यार को भुलाते रहे
यूँ हम पर सितम ढाहते रहे
चन्द साँसे रह गई हैं जिंदगी मे
फिर भी हम उन्हें चाहते रहे

Sunday, October 17, 2010

यह घर

यह घर
       अब मेरा नहीं!!
जर्जर है
       दरो दीवारो का पता नहीं!!
रहते इन्सान
        पर आत्मा का पता नहीं!!
दुख है यहाँ
        खुशियों का बसेरा नहीं!!
गरूर भरे सब
        दिल में स्नेह रहा नहीं!!
रात गहरी
        अब यहाँ कोई सवेरा नहीं!!

कहाँ है वो आज़ाद भारत कहाँ है वो सपनो का भारत!!

कहाँ है वो आज़ाद भारत
कहाँ है वो सपनो का भारत
हर तरफ उठती
अपने हक़ की आवाज़
हर तरफ उठती
अलग प्रदेश की माँग
हर तरफ़ घपले ही घपले
हर तरफ घोटाले ही घोटाले
क्या यही है गाँधी, नेहरू का भारत
कहाँ है वो आज़ाद भारत
कहाँ है वो सपनो का भारत!!१

कहीं महगाई का रोना
कहीं बेरूज़गारी की मार
कहीं पुलिस का अत्याचार
कहीं जनता का गुस्सा फूटता
हर तरफ़ मची हुई हाहाकार
क्या यही है भगत, सुभाष का भारत
कहाँ है वो आज़ाद भारत
कहाँ है वो सपनो का भारत!!२

कहीं आतंकवादियों की साज़िशें
कहीं नक्सलियों का अत्याचार
कहीं नेताओं की गद्दारियाँ
कहीं कसाब,दाउद के मुंबई हमले
हर तरफ़ बहता खून का समंदर
हर तरफ़ दर्द का मंज़र
क्या यह है गंगाधर तिल्क,रानी झाँसी का भारत
कहाँ है वो आज़ाद भारत
कहाँ है वो सपनो का भारत!!३

देश की प्रगति

आज भारत हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, वो विज्ञान हो या विधिया का क्षेत्र हो. आज हमारे देश के लोग पढ़ लिख कर बाहर के देशों में अच्छे पद पर कार्य कर रहे हैं. यदि हम भारत के गावों में झाकें तो ये प्रगति बेमानी सी लगती है. आज भी हमारे देश की जनता ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं. बहुत से लोग, लगभग८५% आज भी अनपढ़ हैं. अपने अधिकारों से अनजान है. जो पढ़ा लिखा वर्ग है वो भी पुरानी पांरपराओं, धर्म जाति से इतर कुछ नहीं सोचता. आज भी हमारे देश में कभी धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर या अलग प्रदेश की माँग पर दंगे, हिंसा, तोड़ फोड़ होती रहती है. झारखंड या बिहार की ही बात ले लीजिए. वहाँ नक्सलवादी, माओवादीओ ने कितना ऊतपात मचा रखा है आए दिन समाचार पत्रों, दूरभाष में ऐसे समाचार मिलते रहते हैं. कभी रेलवे पाटड़िया उखाड़ दी जाती हैं. जिससे पिछले दीनो कितने रेल हादसे हुए, कितनी जाने चली गई. कभी लाल गढ़ किले की घटना. यह लोग कितना नुकसान पहुँचाते हैं देश को, जनता को. यह लो इतने खुदप्रस्त है. बस अपनी माँग पूरी होनी चाहिए. चाहे किसी को कितना भी नुकसान पहुँचे, किसी की जान चली जाए. इन लोगों के लिए किसी भी वास्तु, जान का कोई मोल नहीं है. यह नकसली, माओवादी कभी नहीं सोचते कि कितने परिवार उजड़ जाते हैं, कितनी औरते विधिवा हो जाती हैं,किसी के सिर से माँ बाप का साया छिन जाता है, किसी की कोख सूनी हो जाती है, किसी बहन का भाई छिन जाता है.देश को कितना आर्थिक नुकसान पहुँचता है. झारखंड, बिहार की स्थिति बहुत खराब है. कई बार तो यह नकलसी,माओवादी अपने मतलब की खातिर छोटे छोटे बच्चों को भी उठा लेते हैं और अपने घिनोने कार्यों में लगा देते हैं
लड़कियों को वेश्या जैसे गंदे धंधे में धकेल देते हैं. वहाँ तो गाँवों की स्थिति इतनी बदतर है कि छोटे छोटे बच्चों को माँ बाप बेचने पर मज़बूर हो जाते हैं. कई बार इन बच्चों से घरों का काम करवाया जाता है. ढाबों पर जो बच्चे काम करते हैं. उनकी स्थिति जानवरों से भी बदतर होती है.काम के नाम पर १५ घंटे काम लिया जाता है. खाने के लिए बचा खुचा यहाँ तक की झूठन तक खानी पड़ती है
पहनने के नाम पर चिथड़े धमा दिए जाते हैं छोटी सी ग़लती होने पर जानवरों जैसा पीटा भी जाता है.इन राज्यों में बाल विवाह भी बहुत ज़्यादा हैं. १४- १५ साल की आयु में विवाह कर दिया जाता है. यहाँ साक्षरता दर भी बहुत कम है. पढ़े लिखे लोग ना के बारबर हैं यदि यह सारे आँकड़े इकट्ठा किए जाएँ तो लगता है हमारा देश आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है यह सर बातें हमारे देश की प्रगति में बढ़ा उत्पन्न करती है. यदि हम सच्चे मन से चाहते हैं हमारा देश आगे बढ़े, प्रगति के पथ पर चले तो हम पढ़े लिखे वर्ग को पहल करनी होगी. ये जाती, धर्म, अलग प्रदेश की माँग से उपर उठ के सोचना होगा और इन सारी समस्याओं के संदर्भ में कार्य करना होगा कि इनको कैसे दूर किया जाए

Friday, October 15, 2010

ਏਨੇ, ਪਾਪ ਕਮਾਓਂਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!

ਪੁੰਗਰਦੇ ਫੁਲਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!
ਤੋੜਕੇ ਫਿਰ ਮਿੱਟੀ ਚ ਰੋਲਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!
ਕੁਖ ਦੇ ਵਿਚ ਲੜਕੀ ਆਈ,
ਇਹੇ ਜਾਣਕੇ ਜਿੰਦਗੀ ਦੇਣ ਤੋਂ,
ਪਹਿਲਾਂ ਮਾਰਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!
ਛੋਟੀਆਂ ਛੋਟੀਆਂ ਬੱਚੀਆਂ ਨੂੰ,
ਵੇਸਵਾ ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਵੇਚਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!
ਕਲੀਆਂ ਨੂੰ ਫੂਲਾਂ ਬਨਣ ਤੋਂ,
ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਮਰੋੜਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!
ਡਰੋ ਲੋਕੋ ਉਸ ਰਬ ਤੋਂ,
ਇਸ ਜਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਏਨੇ,
ਪਾਪ ਕਮਾਓਂਦੇ ਕਿਓਂ ਹੋ!?!






pungrde fulan noon torde kioon ho?
torke fir mitti wich rolde kioon ho?
kukh de wich ladki ai,
eiho janke jindgi den ton,
pahlan marde kioon ho?
chotian chotian bachchian noon,
veswa bazaar wich vechde kioon ho?
kalian noon ful banan ton,
pahlan hi  marorde kioon ho?
daro loko us rabb ton,
is jindgi wich eine,
 paap kamande kioon ho?

Thursday, October 14, 2010

माया की छाया सब को करती पराया

माँ तू घर को
क्यूँ नहीं संभालती
हर वक़्त बहू से
क्यूँ है लड़ती झगड़ती
मेरी पत्नी है
तुझसे बहुत अच्छी
हर बात में
वोह है सच्ची
वो है कमाती
पैसा है घर लाती
तू क्या करती
सारा सारा दिन
बक बक करती
रहना है अगर
तुझे यहाँ
काम करना पड़ेगा
हर बात को
सहना पड़ेगा
नहीं तो तेरा घर वहाँ
व्र्ध आश्रम है यहाँ
इसलिए कहते
माया की छाया
सब को करती पराया

Wednesday, October 13, 2010

नारी देह

देखी यहाँ भी नारी देह
भर लेता अपनी बातों में स्नेह!!
मुँह से तो फूल बरसते,
दिल में नारी देह को रखते!!
वो बस एक वस्तु है नारी देह
उसे  तो बस  भोगा  जाए!!
चाहे  कुछ  भी  हो जाए,
अपने घर की नारी,  नारी!!
दूसरे  की है  तो   बेचारी,
क्या वो  नारी इन्सान नहीं!!
याँ उसमें बसता भगवान नहीं,
जानवर क्यूँ बन जाता वो इंसान!!
जब देख लेता नारी देह पराई,
क्यूँ  हो   जाता  वो  हैवान!!
क्यूँ खो देता  अपना  ईमान,
क्यूँ नहीं करता उसका सम्मान!!

Sunday, October 10, 2010

क्यूँ करते हो, मुझसे इतना प्यार!!

तेरे ख्यालों मे खोई,
रहती हूँ दिन रात!!
क्यूँ करते हो,
मुझसे इतना प्यार!!

मेरे मन मंदिर में,
तुम ही बसे हो!!
क्यूँ लगते हो तुम,
मुझे इतने   ख़ास!!

तेरी बातें तेरी आवाज़,
घुलती है कानों में!!
क्यूँ छेड़ देती है,
मेरे दिल के साज़!!

तेरी हँसी,तेरी खिलखिलहट,
छीन लेती है मेरे दिल का
स्कून,क्यूँ आ जाते हो,
 मेरे इतने   पास!!

Friday, October 8, 2010

फूल तेरी किस्मत है किया

फूल तेरी किस्मत है किया
ख़िला और डाली से तोड़ दिया

भंवरे आते
रस पीते
उड़ जाते

कुछ पवित्र हाथों ने तुझे तोड़ा
देवी देवताओं को अर्पण कर दिया

कुछ शरारती आए
तुझे तोड़ा
हाथों से मसला
और मिट्टी में मिला दिया

कुछ हाथों ने तुझे तोड़ा
धागे में परोया
माला गूँथी
और शहीदों की मूर्तियों को चढ़ा दिया

कुछ ने अपने बालों का शिंगार बना लिया
कुछ ने इसे अपनी कुत्सित हसरतों के लिए
हाथों में बांदा और वेश्याओं पर लूटा दिया

कुछ ने इसे अपने प्यार को समर्पित कर दिया
कुछ ने इसे अपने घर की शोभा बना लिया

फूल तेरी किस्मत है किया
खिला और डाली से तोड़ दिया
9

Tuesday, October 5, 2010

क्यूँ साथ चलना चाहते हो!!

जिन्दगी की किताब के,
पड़ चुके स्याह पन्नों पर,
क्यूँ रंग भरना चाहते हो!!

दफ़न हो चुकी यादों,
को क्यूँ  हक़ीकत,
बनाना  चाहते  हो!!

जिगर के खाली कोने को,
अपनी मीठी बातों से,
क्यूँ  भरना चाहते हो!!

मंज़िल की तरफ़ बढ़ रही,
हूँ, क्यूँ अब उस रास्ते पे,
साथ चलना चाहते हो!!

Monday, October 4, 2010

पानी की बूँदें

पानी की बूँदें
बद्रा बन के बरसें
धरती की प्यास बुझाती
पानी की बूँदें
आँखों में आँसू बनके बरसें
किसी की याद दिलाती
पानी की बूँदें
हैं इंसानों के लिए
जीवन समान
इसके बिना नहीं है जिंदगी
पेड़, जानवर् या हों इंसान
इस मे ही बसते सब के प्राण

Sunday, October 3, 2010

प्यार का मोती

दिल की पाती में
अपनी चाहत की कलम से
लिखे मैने हर्फ प्यार के!!1!!

सपनों के सागर में
तेरी यादों की सरिता
बहती है इस जिंदगी में!!2!!

तमन्नाओं के आकाश में
उड़ना चाहता है
यह मन का पक्षी
तेरे जीवन संसार मे!!3!!


मेरे आँसू की बूँदें
बारिश बनके
तेरे ज़िगर की सीप में
बन गई प्यार का मोती!!4!!

मेरी दो पंक्तियाँ

१.दर्द को जिन्दगी की दवा बना लो
खुदा भी खुद को भूल जाए
कुछ ऐसा कर जाओ जिंदगी में
खुदा भी बस तुम्हारा हो जाए


२. इनायत हो उस खुदा की बस इतनी
मैं इस जहाँ में रहूं
तो उस खुदा के लिए रहूं

मेरी दो पंक्तियाँ

१.इतना मत चाहो किसी को कि जीना मुश्किल हो जाए
इतना मत सोचो किसी के बारे में कि मरना आसान हो जाए

२लगता है बात रुक गई
लगता है रात रुक गई
याद आया हम तो तेरे ख्यालों मे खोए थे
तेरे ही खवाबों को संजोय थे

मेरी दो पंक्तियाँ



१.गुलदस्ते में फूल तो सब हैं
एक गुलाब की कमी है
इस जिन्दगी में दोस्त तो बहुत हैं
बस आप की कमी है


२. आब-ए-चश्म बहुत आए इन आँखों में
अब कुछ सकूँ के पल भी हों इस जिन्दगी में

Friday, October 1, 2010

कैसे दे दूँ तुझे तुझ को खुद से निकाल के

तुझे तुझ को
दे दूँ
खुद से
निकाल के
क्या करूँ
कैसे करूँ
समझ नहीं आता
यह दिल भी
नहीं मानता
कैसे दे दूँ
तुझे तुझ को
खुद से
निकाल के
तुम बोले
वापस कर दे
वो सारे खत
वो सारे तोहफे
कैसे दे दूँ
वो सब
तुझे तुझ को
खुद से निकाल के
तुम मेरी
नस नस में हो
रोम रोम में हो
खून के एक एक
कतरे में हो
तुम ही सोचो
कैसे दे दूँ
तुझे तुझ को
खुद से
निकाल के

हारी नहीं हूँ, जिन्दगी से,

मुश्किलें है पग पग पे,
परीक्षा देती ही जा रही हूँ!!
सपने हो जाते हैं बेरंग,
उनमें रंग भरती ही जा रही हूँ!!
गमों को बाँट लेती हूँ,
छोटी सी छोटी खुशियो,
को गले लगाती जा रही हूँ!!
मंज़िल है अभी बहुत दूर,
रास्ते हैं बहुत कठिन,
थॅकी नहीं,चलती ही जा रही हूँ!!
हारी नहीं हूँ, जिन्दगी  से,
आगे ही आगे बढ़ती जा रही हूँ!!